राज्य के 3.25 लाख सरकारी कर्मियों का सेवा पुस्तिका अब होगा online......

सरकार के पास सभी कर्मचारियों का डाटा अब ऑनलाइन होगा, जानिए किस सिस्टम के तहत होगा काम

सरकार कर्मियों की सेवा से जुड़ा सारा ब्योरा उसकी सेवा पुस्तिका में दर्ज रहता है। फिर चाहे वो उनकी सेवा संपुष्टि हो, पदोन्नत हो, अवकाश हो या सेवानिवृत्ति। मबर इन सेवा पुस्तिकाओं में तमाम गड़बड़ियों की शिकायत भी गाहे-बगाहे आती रहती है। कर्मचारियों के तबादलते के वक्त अभी सेवा पुस्तिका कोउनके तैनाती स्थल पर भेजना होता है, लेकिन तमाम कर्मचारियों की सर्विस बुक वहां पहुंचती ही नहीं है। इन्हीं सबको देखते हुए राज्य सरकार ने कागजी सेवा पुस्तिका की व्यवस्था को समाप्त कर दिया है। 

अब सारा काम ऑनलाइन होगा

अब सारा काम ऑनलाइन होगा। डिजिटल सर्विस बुक होगी। जिन अधिकारियों पर सेवा पुस्तिका में प्रविष्टि करने की जिम्मेदारी है, उन्हें भी ऑनलाइन प्रविष्ट के राइट दिए जाएंगे। जब चाहे प्रिंट लिया जा सकेगा। इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि कर्मचाी और विभाग देानों को सुविधा होगी। यूं तो इस काम को मार्च 2021 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा है, लेकिन कई विभाग इससे पहले ही इसे पूरा कर लेंगे। 

छुट्‌टी लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन

सरकारी कर्मचारियों को छुट्‌टी भी कागजी प्रार्थनापत्र पर नहीं मिलेगी। उन्हें इसके लिए ऑनलाइन आवेदन देना होगा। सारे अवकाश का ब्योरा सेवा पुस्तिका में भी दर्ज होगा। 

Comments

  1. प्राचीन काल से ही लड़कियों एवं महिलाओं के साथ हमारे समाज में जेंडर आधारित भेदभाव व्याप्त है ।इस भेदभाव को मिटाने के लिए एवं सामाजिक समानता का अधिकार दिलाने के लिए बहुत ही सामाजिक एवं कानूनी लड़ाई लड़ी गई ।फिर भी इस सामाजिक बुराई को जड़ से उखाड़ फेक नहीं सके ।दहेज प्रथा वाली सामाजिक बुराई हमारी समाज में रच बस गयी है ।पुत्र पारिवारिक सम्पत्ति का कानूनी अधिकारी है, यह एक परंपरा बन गया है ।लड़कियों का शीघ्र विवाह होनी चाहिए, पुरुष देखभाल एवं पोषण करने वाला है, यह एक लोगो की मनोदशा बन गया है ।बेटियों में बेटों की वरिष्ठता तो परिवार एवं समाज में बच्चे के जन्म के समय से ही दिखने लगता है,और जन्म के समय से ही लड़कियों को परिवार की अस्थायी सदस्य के रूप में गिनती होने लगती है ।परिवार एवं समाज में लड़कियों के कहीं आने जाने पर सबकी नजर रहती है ,और मासिक धर्म को तो लोग छुआछूत का रोग मानते हैं ।इसलिए समाज में व्याप्त जेंडर आधारित भेदभाव को देखते हुए लड़कियों एवं महिलाओं के सर्वांगीण विकास में बाधा उत्पन्न न हो और उन्हें समाज में अवसर मिले इसके लिए विधालय में हमें शिक्षण अधिगम प्रक्रिया के माध्यम से भेदभाव मिटाने की कोशिश करनी पड़ेगी, और हमें १९८६ की राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार महिलाओं की समानता के अधिकार पर बल देना होगा ।इससे बच्चे परिवार एवं समाज में अलख जगाने का काम करेंगे ।

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