शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों से शिक्षा मंत्री-विजय चौधरी का सीधा सवाल.....बिहार सरकार जब शिक्षा विभाग को समय पर देती है रूपए(₹),तो शिक्षकों के वेतन मे देरी क्यों❓

पटना....गुरुवार को विकास भवन में शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने अफसरों से विभागीय गतिविधियों के संदर्भ में करीब एक घंटे तक बातचीत की।इस दौरान उन्होंने अधिकारियों को कुछ टिप्स भी दिये।

उन्होंने अफसरों से कहा कि आखिर शिक्षकों को समय पर वेतन क्यों नहीं मिल पाता है?उनके वेतन में दो से चार माह तक का विलंब चिंता की बात है,जबकि सरकार विभाग को समय पर पैसा देती है।

ऐसे में वेतन में विलंब आश्चर्य की बात है।अब किसी भी कीमत पर शिक्षकों की वेतन लंबित नहीं रहना चाहिए। उनके वेतन में विलंब से पढ़ाई की गुणवत्ता का सीधा संबंध है।

सूत्रों के मुताबिक शिक्षा मंत्री चौधरी ने अफसरों से कहा कि स्कूलों में इतनी अच्छी पढ़ाई कराएं कि बच्चे मध्याह्न भोजन करने नहीं बल्कि पढ़ने आएं।आखिर मध्याह्न भोजन के बहाने हम कब तक स्कूल चलायेंगे।हमें इसका विकल्प तलाशने की जरूरत है।

इससे पहले शिक्षा मंत्री चौधरी ने संवाददाताओं को बताया था कि हम सरकारी स्कूलों की दशा-दिशा सुधार कर उन्हें ऐसा बनायेंगे कि निजी स्कूलों पर निर्भरता खत्म कर दें।

सूत्रों के मुताबिक मीटिंग में शिक्षा मंत्री ने अफसरों को दो टूक मे बता दिया कि हमें शिक्षा की बेहतरी के लिए ठोस उपाय करने होंगे।उन्होंने माध्यमिक और प्राथमिक नियोजन की अड़चनों को भी समझा तथा उपस्थित विभागीय पदाधिकारियों से कहा कि इस संबंध में उचित कदम उठाये जाएं।

नियोजन में उच्च कोटि के शिक्षक आने चाहिए।विभागीय कोर्ट केस के संदर्भ में उन्होंने कहा कि लोग परेशान होकर ही कोर्ट का रुख करते हैं।हमें लोगों की समस्याओं का समाधान संवदेनशीलता के साथ करना चाहिए।

उच्च शिक्षा के बारे में कहा कि इससे जुड़े सत्र नियमित कर दिये जायें।उन्होंने कॉलेजों के ड्रॉप आउट पर चिंता जाहिर की साथ ही उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा से जुड़ी अकादमियों और संस्थानों के कार्यों की भी समीक्षा करने की जरूरत है।

इस दौरान उन्होंने कहा कि प्रत्येक निदेशालय मुझे अलग अलग जानकारियां दें तभी इस संदर्भ में निर्णय लिये जा सकेंगे।बैठक में प्रधान सचिव संजय कुमार,सचिव असंगबा चुबा आओ,विशेष सचिव सतीश कुमार झा,उच्च शिक्षा निदेशक डॉ रेखा कुमारी,प्राथमिक निदेशक डॉ रणजीत कुमार एवम अन्य पदाधिकारी मौजूद रहे।



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