2.अगर आपने अपना ईपीएफ खाता पुराने नियोक्ता से ट्रांसफर किया है,तो टैक्स के लिए कुल सेवा अवधि की गणना में पुरानी सेवा अधवि भी जुड़ेगी।
3.अगर निकासी के वर्ष में सेवा की कुल अवधि पांच साल से कम है,तो निकासी की राशि पर कर लगेगा।
4.ध्यान रखें कि ईपीएफ अकाउंट की राशि चार भाग में होती है। कर्मचारी का योगदान,नियोक्ता का योगदान और दोनों के योगदानों पर लगने वाले ब्याज।
5.अगर निरंतर रोजगार की अवधि पांच साल से कम है,तो ईपीएफ में नियोक्ता का योगदान और उस पर मिलने वाला ब्याज आयकर रिटर्न में 'आय' श्रेणी के तहत करयोग्य होगा।
6.अगर निकासी पांच साल की सेवा अवधि से पहले होती है और आपने आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत योगदान पर छूट का दावा किया है, तो कर्मचारी का स्वयं का योगदान भी 'salary' श्रेणी के तहत कर योग्य होगा।
7.पांच साल से पहले निकासी की स्थिति में,ईपीएफ में ग्राहक के स्वयं के योगदान पर प्राप्त ब्याज पर 'अन्य स्रोतों से आय' श्रेणी के तहत कर लगाया जाएगा।
8.पांच साल की निरंतर रोजगार अवधि से पहले निकासी पर 10 फीसद की दर से टीडीएस लगता है।
9.हालांकि,अगर राशि 50,000 से कम हो या कंपनी ने परिचालन बंद कर दिया हो,तो उस स्थिति में टीडीएस नहीं कटेगा।
10.यदि उस वित्तीय वर्ष के लिए कर्मचारी की शुद्ध आय कर योग्य आय सीमा से कम है, तो फॉर्म 15G/15H भरकर ईपीएफ निकासी पर टीडीएस(TDS) कटने से रोका जा सकता है।
Useful and interesting
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