नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्र की जांच के लिए अबतक web portal तैयार नही.....फर्जी शिक्षकों को पकड़ना राज्य सरकार के लिए बहुत बड़ा चुनौती
पंचायत स्तर पर बहालियों में हुई अनियमितता............
बिहार में शिक्षकों के नियोजन को लेकर बड़े सवाल खड़े होते रहे हैं।विशेष तौर पर पंचायत स्तर पर वर्ष 2006 के बाद जितनी भी बहालियां हुई उनमें भारी पैमाने पर अनियमितता की शिकायत मिली।कई लोग शिक्षक के पद पर ऐसे बहाल हो गए जिनके पास न तो जरूरी योग्यता थी और न ही टेट या सीटेट का सर्टिफिकेट।
सर्टिफिकेट दिखाओ नौकरी पाओ के तहत हुई थी बहाली.....
बिहार के स्कूलों में शिक्षकों की कमी पूरा करने के लिए राज्य सरकार ने सर्टिफिकेट दिखाओ नौकरी पाओ के तहत पंचायत से लेकर जिला स्तर तक नियोजन की प्रक्रिया शुरू की थी।इसी नियोजन प्रक्रिया का फायदा उठाते हुए बड़ी संख्या में फर्जी शिक्षक बहाल हो गए।जब इस मामले को लेकर हंगामा हुआ तो पटना हाईकोर्ट की निगरानी में निगरानी विभाग ने जांच शुरू की।
पटना हाईकोर्ट के निर्देश पर अगस्त 2015 में बिहार के नियोजित शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच शुरू हुई थी।आंकड़ों के मुताबिक बिहार में 353017 नियोजित शिक्षकों में से 249100 शिक्षकों के फोल्डर उपलब्ध हैं,जबकि 103917 शिक्षकों के फोल्डर निगरानी को नहीं मिल पाए।
शिक्षकों को अपलोड करने हैं अपने दस्तावेज........
करीब 5 साल तक निगरानी और शिक्षा विभाग के बीच इस बात को लेकर मामला चलता रहा कि जिन शिक्षकों के फोल्डर गायब हैं उनके लिए जिम्मेदार कौन हैं और इनकी जांच कैसे हो।आखिरकार इस वर्ष जनवरी में शिक्षा विभाग ने निगरानी के साथ बैठक के बाद तय किया कि जिन शिक्षकों के फोल्डर गायब हैं उन्हें अपने नियोजन से संबंधित तमाम दस्तावेज विभाग के द्वारा दिए गए वेब पोर्टल पर अपलोड करने होंगे।जो लोग अपने दस्तावेज अपलोड नहीं करेंगे उन्हें सेवा से बर्खास्त किया जाएगा।उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी। इस फरमान के बाद बड़ी संख्या में नियोजित शिक्षक अपने फोल्डर लेकर भटकते रहे।
सरकार न बना पाई दस्तावेज अपलोड करने का सिस्टम.......
प्राथमिक शिक्षक संघ के राज्य प्रवक्ता प्रेमचंद ने बताया कि न तो ऑनलाइन सिस्टम सरकार बना पाई और न शिक्षकों से उनके फोल्डर किसी दफ्तर में लिए जा रहे हैं।शिक्षक दर-दर भटकने को मजबूर हैं।दरअसल,इस मामले का एक पहलू यह भी है कि जिन एक लाख से ज्यादा शिक्षकों के फोल्डर गायब होने की बात कही जा रही है उनमें से कई शिक्षक ऐसे हैं जिन्होंने अपने फोल्डर जमा किए थे,लेकिन नियोजन इकाई के स्तर पर लापरवाही की वजह से उनके फोल्डर गायब हो गए।अब ऐसे शिक्षक परेशान हैं कि सब कुछ सही होने के बावजूद उन्हें फर्जी माना जा रहा है।
एक सप्ताह में तैयार हो जाएगा वेब पोर्टल.......
शिक्षा विभाग के अधिकारी मान रहे हैं कि वेब पोर्टल बनाने में देर हुई।उनका कहना है कि अगले एक सप्ताह में वेब पोर्टल तैयार हो जाएगा।बिहार के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि बहुत जल्द यह सॉफ्टवेयर तैयार हो जाएगा और उम्मीद है कि शिक्षकों के दस्तावेज की जांच जल्द पूरी हो जाएगी।
"शिक्षकों को अपने सर्टिफिकेट जमा करने के लिए अंतिम मौका के लिए वेब पोर्टल बनाया जा रहा है।जल्द ही वेब पोर्टल उपलब्ध होगा जिस पर शिक्षकों को अपना नियोजन पत्र,अंक पत्र और सभी प्रमाणपत्र अपलोड करने होंगे। इन प्रमाणपत्रों की हमलोग जांच कराएंगे।जिनके सर्टिफिकेट सही पाए जाएंगे वे काम जारी रखेंगे और जिनके सही नहीं पाएं जाएंगे उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगीऔर उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया जाएगा."- डॉ रणजीत कुमार सिंह,प्राथमिक शिक्षा निदेशक

क्या कहते हैं आंकड़े.........
नियोजित शिक्षक और पुस्तकालयाध्यक्ष-353017
जिनकी जांच हो चुकी है-249100
जिनके फोल्डर नहीं मिले-103917
सर्टिफिकेट-723078
सर्टिफिकेट जिनकी जांच हुई-405845
सर्टिफिकेट जो फर्जी पाए गए-1275
शिक्षक जिनके खिलाफ एफआईआर हुआ-1572
जिन 1572 फर्जी शिक्षकों के खिलाफ मामले दर्ज हुए हैं।उनमें से उच्च माध्यमिक स्तर के 131, माध्यमिक स्तर के 59,लाइब्रेरियन 15 और प्राथमिक स्तर के 1367 फर्जी शिक्षक शामिल हैं।
फोल्डर गायब होने से जांच में लगा अधिक समय............
निगरानी सूत्रों के मुताबिक जांच में इतना लंबा समय लगने की वजह 1 लाख से ज्यादा शिक्षकों का फोल्डर गायब होना है।दूसरी तरफ नियोजन इकाइयों से जो सहयोग मिलना चाहिए था वह नहीं मिल रहा।जिन सर्टिफिकेट्स की जांच हो रही है वे कई राज्यों से जुड़े हैं।इनमें उत्तरप्रदेश,उत्तराखंड,पंजाब,हरियाणा,मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल आदि प्रमुख हैं।इस वजह से अब तक करीब चार लाख सर्टिफिकेट्स का वेरीफिकेशन हो पाया है,जबकि तीन लाख से ज्यादा सर्टिफिकेट्स का वेरिफिकेशन होना बाकी है।
नए नियोजन में भी फर्जी डिग्री के आधार पर हुआ आवेदन.......
नए नियोजन में भी बड़ी संख्या में फर्जी डिग्री के आधार पर आवेदन करने का मामला सामने आया है।कई जगह पर मेरिट लिस्ट में ऐसे व्यक्तियों के नाम टॉप पर हैं,जिनके सर्टिफिकेट नंबर फर्जी हैं।बिहार में बड़े स्तर पर हुए पहले के फर्जीवाड़े के बावजूद जब 2019 में शिक्षा विभाग ने करीब सवा लाख शिक्षकों के छठे चरण के नियोजन की प्रक्रिया शुरू की तो इसमें भी पुराने सिस्टम को ही बरकरार रखा गया।अब जब काउंसलिंग का वक्त आया है तो शिक्षा विभाग यह विचार कर रहा है कि फर्जी शिक्षक बहाल न हों,इसके लिए क्या उपाय किए जाएं?
इस पर भी अब तक अंतिम फैसला नहीं हो पाया है कि नए नियोजन में काउंसलिंग से पहले दस्तावेज की जांच होगी या नियोजन पत्र देने के बाद शिक्षक अभ्यर्थियों की जांच के बाद उन्हें बहाल किया जाएगा।ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि छठे चरण के नियोजन में फर्जीवाड़े को शिक्षा विभाग किस तरह रोकता है।वहीं 2015 से जो निगरानी की जांच चल रही है इस मामले में भी शिक्षा विभाग और निगरानी किस हद तक फर्जी शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई करती है यह देखना दिलचस्प होगा।
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