ब्रेकिंग न्यूज:-शिक्षा विभाग की दो बड़ी खबरें(latest news) ।। 19 मई 2021 ....two latest news from education department
शिक्षकों के तीन लाख से अधिक पद रिक्त,पर बात गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की
🔸️बिना शिक्षक कैसे पढ़ेगा बिहार यह है बड़ा सवाल,कुछ जिलों मे विद्यालय भवन का भी है अभाव
पटना....जब शिक्षा की बात होती है तो वहां शिक्षकों की बात भी होती है।बिना शिक्षक के शिक्षा दे पाना संभव नही है।वर्तमान मे अगर हम बात करेंगे तो बिहार मे शिक्षकों की कमी एक अहम मुद्दा है।सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की भले हीं लाख दावे कर ले,लेकिन बिना शिक्षक के गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे पाना संभव नही है।आज बिहार मे विद्यालय मे पढ़ने के लिए बच्चें नामांकित तो है लेकिन पढ़ाने के लिए शिक्षकों का अभाव है।साथ हीं कुछ जिलों मे विद्यालय भवन का भी अभाव है।
राज्य के विद्यालयों मे शिक्षकों की वर्तमान स्थिति......
बिहार शिक्षा परियोजना(BEP) के रिपोर्ट के अनुसार बिहार मे विद्यालयों की संख्या पर बात करें तो 41762 प्राथमिक विद्यालय,26523 मध्य विद्यालय(कक्षा 1 से 8),261 केवल मध्य विद्यालय है।
बिहार मे 3276 विद्यालय पर सिर्फ एक शिक्षक, 12507 विद्यालय पर 2 शिक्षक,10595 विद्यालय पर 3 शिक्षक,7170 विद्यालय पर 4 शिक्षक,4366 विद्यालय पर 5 शिक्षक,3874 विद्यालय जहां 5 से अधिक शिक्षक कार्यरत हैं।यानि कुल मिलाकर 3874 विद्यालय मे हीं शिक्षकों की स्थिति ठीक-ठाक है।पूरे बिहार की बात करें तो 8004 ऐसे विद्यालय है जहां शिक्षक छात्र का अनुपात 100 से ज्यादा का है।जबकि पूर्व बिहार राज्य का शिक्षक छात्र अनुपात 57 है।सीतामढ़ी जिले मे शिक्षक छात्र का अनुपात 75 है तो वहीं नालंदा जिले के शिक्षक छात्र का अनुपात 42 है।
राज्य मे 2007-08 मे विद्यालयों की संख्या 66627 थी जो कि 2015-16 मे बढ़कर 70934 हो गई।ये रिपोर्ट 2015-16 के यूनिफाइड राज्य शिक्षा सूचना प्रणाली के अंतर्गत है।अब बात करे विद्यालय मे नामांकित बच्चें की तो सत्र 2021-22 के दौरान कुल 32,08,503 बच्चे का नामांकन हुआ,लेकिन अब इन बच्चों को बिन शिक्षक के शिक्षा कैसे मिलेगा।राज्य मे कुल शिक्षकों की संख्या 3,83,176 है।ये बिहार सरकार के 2015-16 के डाटा के अनुसार है।इसके बाद न तो डाटा जारी हुआ है और न ही शिक्षकों की बहाली हुई।एक समय था कि बिहार शिक्षा के मामले मे अग्रणी हुआ करता था,नालंदा जैसे प्राचीन विश्वविद्यालय ने देश-विदेश के लोगों को शिक्षित किया लेकिन आज शिक्षक के अभाव मे बिहार खुद पिछे है।आरटीई एक्ट-2008 के तहत कक्षा 1 से 8 तक की शिक्षा को मौलिक अधिकार मे सामिल किया गया।लेकिन आज सरकार बच्चों के मौलिक अधिकार का हनन कर रही है।बिहार के बच्चों को आखिर कबतक शिक्षक नसीब नही होगा।इस सवाल का जवाब बिहार सरकार और शिक्षा विभाग को ही देना है।
बिहार मे शिक्षकों के रिक्त पद.......
बिहार मे कक्षा 1 से 12 तक शिक्षकों के कुल स्वीकृत पद 7,28,937 है जिनमे से कार्यरत शिक्षकों की संख्या 4,13,159 है।इस प्रकार वर्तमान मे शिक्षकों के रिक्त पदों की संख्या 3,15,778 है।इतने शिक्षकों के रिक्त पद के बावजूद भी सरकार समय पर शिक्षकों की बहाली नही करती।वर्तमान मे 94000 शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया भी अटकी हुई है।
चलायी जा रही है मुहिम ......
राज्य मे शिक्षकों का अभाव है फिर भी सरकार मूकदर्शक बनी हुई है।इस स्थिति को देखते हुए बिहार के युवाओं द्वारा एक मुहिम भी चलायी जा रही है जिसका नाम "बिन शिक्षक के पढ़ रहा बिहार" है।इस मुहिम की शुरुआत बिहार प्रारंभिक शिक्षक नियोजन फेसबुक पेज के फाउंडर सौरभ कुमार द्वारा किया गया।
सौरभ ने बताया कि जब हमने बिहार के विद्यालयों मे शिक्षकों की स्थिति का जायजा लेने शुरू किया तो शिक्षकों की कमी को देखकर दंग रह गया कि जब रिक्त पद है तो सरकार समय पर बहाली क्यों नही करती।साथ ही साथ टीचर्स एकेडमी ग्रुप के विवेक कुमार ने बताया कि प्राथमिक स्कूलों(कक्षा 1 से 5) मे कम से कम प्रधानाध्यापक समेत छः शिक्षकों की आवश्यकता होती है,लेकिन कहीं 2 तो कहीं 1 शिक्षक हीं कार्यरत है।बताते चले कि नई शिक्षा नीति के तहत 30 बच्चों पर 1 शिक्षक की जरूरत है,लेकिन बिहार मे इस मामले मे स्थिति दयनीय है।
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शिक्षा विभाग के वेब पोर्टल पर कागजात नही अपलोड करने वाले नियोजित शिक्षक नपेंगे
पटना.....शिक्षा विभाग ने शिक्षक नियोजन मे फर्जीवाड़ा कर नौकरी पाने वाले शिक्षकों पर कार्यवाई का खाका तैयार कर लिया है।हाईकोर्ट के कड़े रूख के बाद विभाग ने सख्ती दिखाते हुए निगरानी जांच के लिए शिक्षक नियोजन फोल्डर और मेधा सूची उपलब्ध कराने मे आनाकानी करने वाली नियोजन इकाई पर जल्द ही प्राथमिकी दर्ज करने का भी आदेश दिया है।
इस संबंध मे निदेशक प्राथमिक शिक्षा डाॅ.रंजीत कुमार सिंह ने सभी बीईओ से पंचायतीराज संस्थान व नगर निकाय संस्थान द्वारा 2006 से 2015 के बीच नियोजित शिक्षकों के सभी प्रमाण पत्रों की जांच के लिए फोल्डर तलब किया था।लेकिन बार-बार आदेश के बाद भी नियोजन इकाई द्वारा नियोजित शिक्षकों का फोल्डर नही जमा किया गया।इस आदेश की अवहेलना के बाद निदेशक ने शिक्षकों के फोल्डर की जांच के लिए एक वैकल्पिक व्यवस्था की।इसके लिए वेब पोर्टल का निर्माण किया गया और शिक्षकों से कहा गया कि वैसे शिक्षक जिन्होने अबतक अपने प्रमाण पत्र को निगरानी विभाग के पास जमा नही किया है।वे अब शिक्षा विभाग के जारी पोर्टल पर अपने फोल्डर को अपलोड कर देंगे।इस मामले मे निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के द्वारा भी कहा गया कि फोल्डर उपलब्ध नही कराने वाले शिक्षकों की सूची को जिला प्रशासन की वेबसाइट एनआईसी(NIC) पर 17 मई तक अपलोड कर दे।
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