राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रमुख केंद्रीय बिंदु.....
उपर्युक्त बिंदुओं पर चर्चा करने से पूर्व यह जान लेना आवश्यक है कि शिक्षा क्या है और यह हमारे लिए क्यों आवश्यक है..❓
शिक्षा का शाब्दिक अर्थ होता है सीखने और सिखाने की क्रिया परन्तु इसके व्यापक अर्थ को देखें तो शिक्षा किसी भी समाज में निरंतर चलने वाली सामाजिक प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य होता है और जिसमें मनुष्य की आंतरिक शक्तियों का विकास तथा व्यवहार को परिष्कृत किया जाता है। शिक्षा द्वारा ज्ञान और कौशल में वृद्धि कर मनुष्य को योग्य नागरिक बनाया जाता है।
दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि "शिक्षा" में वह शक्ति निहित है, वह अग्नि निहित है जो आदमी के बंद दिमाग के दरबाजे और खिड़कियों को खोलकर उसमें नई ऊर्जा, नई रोशनी का संचार कर देती है। नर से नारायण बनने तक के सफर को शिक्षा सुलभ बनाती है।
हमारे शास्त्र मे भी कहा गया है :-
विद्यां ददाति विनयं विनयाद याति पात्रताय।
पात्रत्वात धनमाप्नोति धनातधर्म ततः सुखम।।
किसी भी देश को सुसंस्कृत व उत्तम बनाने के लिए आवश्यक है कि वहाँ का हर एक नागरिक शिक्षित हो।इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर शिक्षा नीति लागू किया जाता रहा है।
नई शिक्षा नीति-2020 से पूर्व 1968 एवं 1986 में भी शिक्षा नीति लागू की गई है।अब प्रश्न यह उठता है कि 1986 की शिक्षा नीति में ऐसी क्या कमियाँ रह गई थी जिन्हें दूर करने के लिए नई शिक्षा नीति 2020 लाने की आवश्यकता पड़ी।
तो आइए एक नजर डालते हैं कि पूर्ववर्ती शिक्षा नीति में परिवर्तन की आवश्यकता क्यों?
● बदलते वैश्विक परिदृश्य में ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए मौजूदा शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन की आवश्यकता थी।
● शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने, नवाचार और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए
● भारतीय शिक्षण व्यवस्था को वैश्विक स्तर पर पहुँच सुनिश्चित करने के लिए
★ नई शिक्षा नीति 2020 के महत्वपूर्ण तथ्य:-
● वर्तमान शिक्षा नीति अंतरिक्ष वैज्ञानिक के• कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली रिपोर्ट पर आधारित है।
● नई शिक्षा नीति 2020 के तहत वर्ष 2030 तक सकल नामांकन अनुपात को 100% लाने का लक्ष्य रखा गया है।
● नई शिक्षा नीति के अंतर्गत केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से शिक्षा क्षेत्र पर जीडीपी के 6% हिस्से के सार्वजनिक व्यय का लक्ष्य रखा गया है।
● नई शिक्षा नीति की घोषणा के साथ ही मानव संसाधन प्रबंधन मंत्रालय का नाम परिवर्तित कर शिक्षा मंत्रालय कर दिया गया है।
★ नई शिक्षा नीति के केंद्रीय बिंदु :-
स्कूली शिक्षा संबंधी प्रावधान
● नई शिक्षा नीति में 5+3+3+4 डिजाइन वाले शैक्षणिक संरचना का प्रस्ताव किया गया है जो 3 से 18 वर्ष तक के आयुवर्ग वाले बच्चों को शामिल करता है।
● पाँच वर्ष की शिक्षा फाउंडेशन स्टेज
● तीन वर्ष का प्रिपरेटरी स्टेज
● तीन वर्ष का मध्य (या उच्च प्राथमिक) चरण- ग्रेड- 6,7,8 और
● चार वर्ष का उच्च (या माध्यमिक) चरण-ग्रेड- 9,10,11,12
● नई शिक्षा नीति 2020 के तहत HHRO द्वारा ' बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान पर एक राष्ट्रीय मिशन' की स्थापना का प्रस्ताव किया गया है।इसके द्वारा वर्ष 2025 तक कक्षा 3 स्तर के बच्चों के लिए आधारभूत कौशल सुनिश्चित किया जाएगा।
★ भाषाई विविधता का संरक्षण :-
● नई शिक्षा नीति में कक्षा 5 तक के शिक्षा में मातृभाषा/स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा को अध्ययन के माध्यम के रूप में अपनाने पर जोर दिया गया है साथ ही आगे की कक्षा में प्राथमिकता देने का भी सुझाव दिया गया है।
★ शारीरिक शिक्षा :-
● औपचारिक शिक्षा के साथ-साथ छात्रों के बागवानी, नियमित रूप से खेलकूद, योग,नृत्य, मार्शल आर्ट आदि की शिक्षा प्रदान करने की बात कही गई है जिससे बच्चों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित हो सके।
★ पाठ्यक्रम और मूल्यांकन संबंधी सुधार :-
● स्कूली शिक्षा के लिए NCERT द्वारा "राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा" तैयार की जाएगी।
● छात्रों के समग्र विकास हेतु कक्षा 10 एवं 12 की परीक्षाओं में बदलाव किया जाएगा।
● छात्रों की प्रगति के मूल्यांकन के लिए मानक निर्धारण निकाय के रूप में "परख" नामक एक नए 'राष्ट्रीय आकलन केंद्र' की स्थापना की जाएगी साथ ही 'कृत्रिम बुद्धिमत्ता' आधारित साफ्टवेयर के प्रयोग का प्रावधान किया गया है।
★ शिक्षण व्यवस्था से संबंधित सुधार :-
● शिक्षकों की नियुक्ति में प्रभावी और पारदर्शी प्रक्रिया का पालन तथा समय-समय पर किए गए कार्य प्रदर्शन आकलन के आधार पर पदोन्नति साथ ही 2022 तक शिक्षक के लिए राष्ट्रीय व्यवसायिक मानक का विकास एवं ''अध्यापक शिक्षा हेतु पाठ्यचर्या की रूपरेखा'' का विकास किया जाएगा।
● वर्ष 2030 तक अध्यापन के लिए न्यूनतम योग्यता 4 वर्षीय एकीकृत बी०एड० डिग्री का होना अनिवार्य होगा।
★ उच्च शिक्षा से संबंधित प्रावधान :-
● उच्च शिक्षण संस्थानों में नामांकन अनुपात जो वर्तमान में 27% के करीब है उसे 50% करने का लक्ष्य रखा गया है।
● नई शिक्षा नीति के तहत स्नातक पाठ्यक्रम में मल्टीपल एंट्री एंड एग्जिट व्यवस्था को अपनाया गया है,जिसके तहत स्नातक विद्यार्थी कई स्तरों पर पाठ्यक्रम को छोड़ सकेंगे और उन्हें उसी के अनुरूप डिग्री या प्रमाणपत्र प्रदान किया जाएगा।
● अलग-अलग संस्थानो द्वारा प्रदान की गई डिग्री को सुरक्षित रखने के लिए एक "एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट" दिया जाएगा।
●इस शिक्षा नीति के तहत एम०फिल० की डिग्री को समाप्त कर दिया गया है।
★ भारतीय उच्च शिक्षा आयोग :-
● नई शिक्षा नीति में देश भर के उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए एक एकल नियामक अर्थात भरतीय उच्च शिक्षा परिषद की परिकल्पना की गई है जिसमें विभिन्न भूमिकाओं को पूरा करने हेतु कई कार्यक्षेत्र होंगे।यह शिक्षा आयोग चिकित्सा एवं कानूनी शिक्षा को छोड़कर पूरे उच्च शिक्षा के क्षेत्र के लिए एक एकल निकाय के रूप में कार्य करेगा।
★ दिव्यांग बच्चों हेतु प्रावधान :-
● नई शिक्षा नीति में दिव्यांग बच्चों हेतु प्रारंभिक से लेकर उच्च शिक्षा तक नियमित रूप से स्कूली शिक्षा के प्रक्रिया में भागीदारी सुनिश्चित करने का प्रावधान किया गया है।
★ डिजिटल शिक्षा के साथ साथ पारंपरिक ज्ञान संबंधी प्रावधान :-
● प्रौद्योगिक इकाई के विकास के माध्यम से डिजिटल शिक्षा संस्थानों को विकसित किया जाएगा साथ ही पारंपरिक भारतीय ज्ञान प्रणालियों को पाठ्यक्रम में सटीक एवं वैज्ञानिक तरीके से शामिल किया जाएगा।
इन सब के अतिरिक्त कुछ विशेष बिन्दु हैं जो नई शिक्षा नीति में समाहित हैं:-
● वैसे जिले या क्षेत्र जहाँ बड़ी संख्या में आर्थिक, सामाजिक या जातिगत बाधाओं का सामना करने वाले छात्र पाए जाते हैं उन्हें विशेष शैक्षिक क्षेत्र के रूप में नामित किया जाएगा।
● देश में क्षमता निर्माण हेतु केंद्र सभी लड़कियों एवं ट्रांसजेंडर छात्रों को समान गुणवत्ता प्रदान करने की दिशा में एक "जेंडर इंक्लूजन फंड" की स्थापना करेगा।
● प्रारंभिक बचपन (8 वर्ष की आयुवर्ग के बच्चों के लिए) देखभाल और शिक्षा हेतु एक राष्ट्रीय पाठ्यचर्या और शैक्षणिक ढांचे का निर्माण NCERT के द्वारा किया जाएगा।
●वित्तीय सहायता:- एस सी,एस टी,ओ बी सी एवं अन्य सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित समूहों से संबंधित मेधावी छात्रों को प्रोत्साहन के रूप में वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
इस प्रकार हम देखते हैं कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 21वीं सदी के भारत की जरूरतों को पूरा करने के लिए भारतीय शिक्षा प्रणाली में बदलाव हेतु जिस नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दी है अगर उसका क्रियान्वयन सघन तरीके से होता है तो यह प्रणाली भारत को विश्व के अग्रणी देशों के समकक्ष ले आएगी।
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