आदर्श अध्यापक के क्या कर्तव्य होने चाहिए..❓
⭐ समाज और देश निर्माण के लिए भारत में ही नहीं पुरे विश्व में शिक्षक की भूमिका बहुत ही सर्वोपरि है ,माता पिता के बाद एक शिक्षक ही होता है जो एक विद्यार्थी के जीवन को सही ढंग से ढालता है और अपने हिसाब से उसको एक रूप देता है।
👉 अध्यापक के 10 प्रमुख कर्तव्य :-
1. समय का पापंद होना चाहिए।
2. स्कुल को व्यवस्थित करना।
3.सुबह की प्राथना में सक्रिय रूप निभाना।
4. कक्षा रूम में समय पहुंचना।
5. उचित विषय पर बात करना।
6. सभी स्टाफ के साथ सहयोग करना।
7. स्वछता सबंधी अग्रसर होना।
8. स्कुल मुखिया के साथ उत्तरदाई होना।
9. माता- पिता अभिवावकों के साथ समय- समय पर बात करते रहना।
10. अपने शिक्षण विधि कप समय के अनुसार ढालना।
एक शिक्षक की एक शिक्षक के रूप मे स्कूल के क्षेत्र मे,समाज के क्षेत्र मे और देश निर्माण के क्षेत्र मे कर्तव्य और उत्तरदायित्व होते हैं या महत्वपूर्ण गुण होते हैं।
आइए जानते हैं एक शिक्षक के रूप मे एक शिक्षक या अध्यापक के कौन कौन से कर्तव्य होते हैं।
👉 आदर्श शिक्षक के महत्वपूर्ण गुण, कर्तव्य और उतरदायित्व :-
1. पहला कर्तव्य समय का पाबंद होना चाहिए :-
समय बहुत बलवान होता है और समय की कदर हर किसी इंसान को करनी चाहिए। एक शिक्षक का सबसे पहला कर्तव्य यह है कि वह समय का पाबंद हो एक शिक्षक में अनुशासन और करवायनिष्ठा का विचार तभी आ सकते हैं अगर वह समय का पाबंद हो। समय अनुसार स्कूल जाना। समय अनुसार अपने Period को Attend करना और समय के अनुसार अपने आप को ढालना, और परिस्थिति अनुसार और समय अनुसार अपनी बात को रखना एक शिक्षक के का परम कर्तव्य है।
2. अनुशासन में रहना :-
अनुशासन इंसान का ही नहीं, सभी जीव जंतुओं के लिए जरूरी है और शिक्षक का भी ये कर्तव्य और उत्तरदायित्व है कि वह अनुशसन में रह कर अपने शिक्षण को अंजाम दे। अगर एक शिक्षक के अंदर अनुसासन नहीं है तो वह किसी भी विद्यार्थी को सही ढंग ढाल नहीं सकता है। अनुसाशन के बगैर शिक्षक एक साधारण इंसान की तरह होगा, और उसका फिर शिक्षा के साथ कोई सबंध नहीं रह जायेगा। शायद देश एक फौजी के बाद शिक्षक ही है जिसके अंदर अनुसासन का होना बहुत जरूरी है। इसलिए एक शिक्षक का अनुसाशित होना बहुत ही जरूरी है।
3. सामाजिक निर्माण के लिए अग्रसर होना :-
शायद एक परिवार के बाद, स्कूल ही एक ऐसी संस्था है जो सामाजिक निर्माण की सबसे पहली इकाई है। समाजिक निर्माण या समाज के प्रति कर्तव्यों के लिए सबसे पहला पाठ हम परिवार से सीखते है और उसके बाद एक विद्यार्थी , एक शिक्षक से सीखता है कि समाज में किस तरह से कुरित्यों को दूर किया जा सकता है। इसलिए एक शिक्षक का यह कर्तव्य है कि एक अच्छे समाज का सृजन करे।
4. देश निर्माण और भक्ति की भावना :-
एक शिक्षक का चौथा कर्तव्य और उत्तरदायित्व यह है कि वह एक अच्छे समाज के निर्माण के साथ -साथ देश भक्ति की भावना अपने अंदर संजोये। अगर देश है तो परिवार भी है और स्कूल भी है, अगर देश है तो समाज भी है , अगर देश है तो स्कूल भी है इसलिए एक शिक्षक का यह कर्तव्य है कि वह देश भक्ति की भावना अपने अंदर रखे और बच्चों के अंदर भी देश भक्ति की भावना को लेकर चले।
5. नम्रता का होना जरूरी है :-
कुछ लोगो का मानना है कि बच्चो को डर होना चाहिए अर्थात एक बच्चा तब तक नहीं सीख सकता जब तक उसे सजा न दी जाये। पर ये जरूरी नहीं है इसके पीछे भी कारण है। आजकल इस युग में इंसान दुनिया के काल चक्र में इतना ज्यादा फंस चूका है कि हर कोई परिवार कहीं -न -कहीं मानसिक रूप से कमजोर हो चूका है। इसलिए एक विद्यार्थी की घर में क्या स्थिति है किस हालात में वह स्कूल आता है एक शिक्षक को इस बात का अंदाजा नहीं होता है।
अगर विद्यार्थी के साथ हम शख्त वयवहार करेंगे तो तो उसका ध्यान पढ़ाई से भटक जायेगा। इसलिए एक शिक्षक के लिए ये जरूरी है कि वह नम्रता से एक विद्यार्थी के साथ पेश आये। ये नम्रता एक शिक्षक के नादर विद्यार्थी के साथ नहीं पुरे समाज के साथ होनी चाइये।
6. शिक्षक आत्मज्ञानी बने :-
शिक्षक का यह कर्तव्य और उत्तरदायित्व है एक वह अपने अंदर आतम ज्ञान की भावना को विकसित करे अगर अक शिक्षक के अंदर आत्म ज्ञान की भावना नहीं है तो उसके शिक्षण का कोई मतलब नहीं रह जाता है। एक शिक्षक आतम ज्ञान की भावना ऐसे विक्सित करे की एक विद्यार्थी को ही नहीं एक संस्था को लगे की उसके बगैर यह संस्था या स्कुल अधूरा है।
7. साधारण शिक्षक बनना जरूरी है :-
एक साधारण शिक्षक ही देश के निर्माण के लिए और स्कूल के निर्माण के लिए सही तरीके से काम कर सकता है। अगर आप साधारण नहीं है और आपके अंदर एक साधारण व्यक्ति की भावना नहीं है तो फिर अन्य वर्ग और आपके अंदर कोई भी फर्क नहीं रह जाता है फिर आप एक नागरिक हो और देश में आपके जैसे 1 अरब 30 करोड़ नागरिक है इसलिए एक शिक्षक के अंदर साधारण व्यक्ति का गुण होना जरूरी है ताकि समाज में दूर से देखते पता चले की आप एक अधयापक हैं।
👉 स्कूल के प्रति शिक्षक के कर्तव्य और जिम्मेदारियां :-
1. समय से स्कूल प्रांगण मे पहुंचना :-
एक संस्था और एक स्कुल के प्रांगण में कम -से-कम आधा घंटा पहुँचाना एक शिक्षक का परम् कर्तव्य है। हमारा काम बच्चों को शिक्षा देना वही हमारा व्यवसाय है और उसी से एक शिक्षक के आर्थिक रूप से परिवार चलता है। अगर हम स्कूल में समय की कदर नहीं करते और Late स्कूल पहुंचते हैं तो निश्च्य ही समाज के लोग ही नहीं आपके विद्यार्थी भी इस बात पर वयंगय करेंगे।
जिससे एक अध्यापक की छवि धूमिल होगी और आप और दूसरी अन्य वर्ग के कर्मचारियों में कोई भी अन्तर नहीं रह जायेगा। इसलिए एक स्कूल के प्रति एक अध्यापक का ये फर्ज और कर्तव्य और उत्तरदायित्व है कि वह समय की कदर करते हुए स्कुल समय से पहले स्कुल पहुंचे।
2. स्कूल मे आते व्यवस्था करना :-
अगर एक शिक्षक स्कूल में पहुँच गया है तो फिर आपके अंदर ये गुण होना चाइये कि आप अपने काम में Busy हो जाएँ। आते ही स्कूल को व्यवस्थित करना, स्कूल में शिक्षण के ढंग को सही व्यवस्थित करना और अगर कोई विद्यार्थी आपके साथ समय से पहले स्कूल में पहुंचा गया है तो आपका यह कर्तव्य है कि देखें कहीं बच्चे शरारत तो नहीं कर रहे। जरूरी नहीं है एक स्कुल का Head स्कूल पहुंचता है तभी स्कूल का सञ्चालन किया जाये।
अगर स्कूल का Head किसी वजह से स्कूल में थोड़ा Late भी हो जाता है तो एक अच्छे शिक्षक का यह कर्तव्य है कि वह स्कूल को सही तरीके से शुरू करवाए।
3. Morning Assembly मे सक्रिय भूमिका :-
जब भी स्कूल शुरू होता है तो उससे पहले हर संस्था में Morning Assembly करवाई जाति है भगवान का नाम लिया जाता है। उस वक्त एक शिक्षक का यह कर्तव्य है कि वह रोज सुबह की Prayer में भाग ले और केवल भाग ही न ले उसमें रोल भी अदा करे। सुबह की प्रेयर में बच्चों को सही ढंग से व्यवस्थित करना और उन पर नजर रखना, एक शिक्षक की Duty है।
एक शारीरिक शिक्षा का अध्यापक केवल Command दे सकता है और अनुशासन कायम क्र सकता है Morning Assembly के विभिन पहलुओं में भाग लेना और उसे व्यवस्था में लाना एक शिक्षक का ही कर्तव्य और उत्तरदायित्व है।
4. समय से अपने कक्षा क्षेत्र मे पहुंचना :-
अकसर हम सभी जानते हैं छोटे बच्चे बहुत शरारती होते हैं और उनकी शरारतों का सिलसिला तब बढ़ जाता है जब वे Morning Assembly के बाद एक डीएम क्लास रम में प्रवेश करते हैं हैं। उनकी जब वे Class रूम में पहुँचते हैं तो उनकी शरारतों की वजह से मोहाल एक डीएम शोरगुल हो जाता है इसके पीछे कारण ये है कि विद्यार्थी सारे इकठे होते हैं इसलिए एक अध्यापक का ये फर्ज है और Responsibly है कि एक दम से वह अपने Period के हिसाब से अपने Classroom में पहुंचे ताकी बच्चों को सही शिक्षण के लिए तैयार किया जा सके।
5. सही टॉपिक पर बात करना :-
एक अध्यापक जब Class रूम में जाता है। उसके बाद विषय का तो वह ज्ञानी होता है पर अगर Class रूम में शिक्षण के दौरान वह उसी Topic पर बात करे तो उचित रहता है इससे विद्यार्थी परेशान नहीं होंगे और आप अपने विषय का Syllabus जल्दी Cover कर सकते हैं। Topic से परे जाना समय की बर्बादी होगी।
6. स्कूल की सफाई संबंधी ध्यान :-
सफाई एक ऐसा विषय है जो इंसान में नहीं जानवरों में भी पाया जाता है अगर आप इस बात को नहीं मानते तो आपने देखा होगा एक बकरी भी जब बैठती है तो वह अपने खुरों से उस जगह को साफ करके बैठती है। अगर स्कूल साफ़ नहीं है तो इसके पीछे आपका यह फर्ज नहीं है कि स्कूल के शारीरिक शिक्षा के अध्यापक को आवाज मारी जाये। अक अच्छे शिक्षक होने के नाते आपका या कर्तव्य और उत्तरदाईत्व है कि आप सफाई सबंधी संबंधित कर्मचारी को आवाज मारें या फिर उसके लिए कोई हल करे।
अगर छोटा मोटा काम है तो अपने आप करने में भी आपको कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। आपके अंदर ये भावना नहीं होनी चाहिए कि में अध्यापक में सफाई करूं।
7. स्टाफ से सहयोग की भावना :-
अगर आप एक शिक्षक हो तो आपक अंदर ये Quality तो तो अवश्य ही होगी कि आप अपने विषय का अच्छे तरह से शिक्षण कर सकें। पर यह एक शिक्षण का विषय है इसके साथ आपके अंदर आपके अंदर स्कूल के स्टाफ के साथ सहयोग की भावना भी होनी चाहिए। विद्यार्थियों की तरह स्टाफ में भी कुछ ऐसे अध्यापक होते हैं जो किसी न किसी मुशीबतों से जकड़े होते हैं।
अगर किसी वजह से ऐसा है तो आप एक मनोविज्ञानी बन जायें और उसके साथ सहयोग दे। यह सहयोग शिक्षण में भी हो सकता है और निजी जीवन में भी हो सकता है।
8. स्कूल मुखिया (प्रधानाध्यापक) के प्रति आज्ञाकारी :-
स्कूल मुखिया (Head) एक ऐसा कर्मचारी होता है जिसके पीछे सारा स्कूल घूमता है अर्थात चलता है। स्कूल मुखिया के ऊपर कई Responsibilities होती हैं। एक शिक्षक शिक्षण का काम करता है पर Head सभी विषयों पर काम करता है। अगर आप एक शिक्षक हो और आप ये सोचते हैं कि मेरा काम सिर्फ पढ़ाना है तो लगत हो।
अगर शिक्षण की वजाये एक स्कूल का Head आपको कोई उत्तरदाइत्व देता है तो आपका यह कर्तव्य है कि आप उसे अच्छे तरह से करें।
9. विद्यार्थी के माता-पिता के साथ communication रखना :-
एक शिक्षक का यह भी कर्तव्य है कि वह बच्चों के माता पिता के साथ या फिर अभिवावकों के साथ सीओ-ordination बना के रखे ताकि विद्यर्थियीं के के शिक्षण का मूल्यांकन किया जा सके। अगर अभिवावकों और अध्यापक के बीच तालमेल नहीं है तो एक विद्यार्थी का teaching और अध्यात्मक विकास नहीं हो सकता है।
10. निरंतर अपने शिक्षण को update रखना :-
एक अध्यापक अगर शिक्षण का काम पूरा कर भी लेता है और बच्चो को अच्छा बढ़ाता है उसके बाद अपने शिक्षण का मूल्यांकन नहीं करता है तो वह शिक्षण प्रक्रिया अधूरी रह जाति है। इसलिए एक शिक्षक होने के नाते आपके यह कर्तव्य है की बच्चो की Note book निरन्तर Check की जानी चाहिए और बच्चों की हर Activity के ऊपर ध्यान होना चाहिए।
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