सरकार के तुगलकी फरमान से नही डरेंगे आंदोलनकारी नियोजित शिक्षक
◾निर्धारित समय पर ही होगा आंदोलन
पटना.....बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप कुमार पप्पू ने कहा कि अपर मुख्य सचिव शिक्षा विभाग बिहार पटना का आदेश आन्दोलनकारी शिक्षकों पर कार्रवाई करने का निर्गत किया जाना लोकतंत्र के मौलिक अधिकार का हनन है। सरकारी आदेश अंग्रेजी हुकूमत की याद को जिन्दा कर डाला है। ऐसे तुगलकी फरमान का संघ पुरजोर विरोध करता है।
राज्य के शिक्षा एवं शिक्षक हित में उचित कार्य करने में असफल शिक्षा विभाग शिक्षकों को डराने धमकाने में लगी है। सरकार को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।
ज्ञातव्य हो कि शिक्षा संबंधी समस्याओं के निदान हेतु 18 नवंबर 2022 को न्यू सचिवालय अंतर्गत मदन मोहन स्मृति सभागार में माननीय शिक्षामंत्री ,अपर मुख्य सचिव शिक्षा विभाग, निदेशक प्राथमिक शिक्षा एवं माध्यमिक शिक्षा के साथ शिक्षक संगठनों की बैठक हुई। जिसमें राज्य की शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने एवं शिक्षकों की समस्याओं के निदान हेतु संघों से विस्तृत राय व लिखित सुझाव भी लिए गए। परंतु एक भी शिक्षा एवं शिक्षक हित में किसी प्रकार का निर्णय लेने में आज तक सरकार व शिक्षा विभाग सक्षम नहीं हो पाई है। फिर शिक्षकों को अपनी आवाज बुलंद करने पर उन्हें रोकना अमानवीय व्यवहार है। लोकतांत्रिक देश में हर व्यक्ति को अपनी बात रखने का अधिकार है।
शिक्षकों द्वारा अध्यापक नियुक्ति नियमावली 2023 में समायोजन करने की मांग किया जाना उचित है क्योंकि महागठबंधन की सरकार ने अपने चुनावी वादे को भी पूरा करने में असफल है। सरकार हर दृष्टिकोण से विफल है। शिक्षक संघर्ष के बुनियाद पर ही अपने हक को पाते रहा है। इसलिए बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ का 25 मई 2023 को जिला मुख्यालय एवं 31 मई 2023 को मुख्यमंत्री के समक्ष आहूत आंदोलन जारी रहेगा। शिक्षक साथी अपने हक की लड़ाई में एकजुटता के साथ खड़े रहे। आपके न्यायोचित मांग निश्चित तौर पर सरकार को देने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
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