सरकार जल्द उच्चस्तरीय समिति गठित कर शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दे :- महासंघ


सरकार जल्द उच्चस्तरीय समिति गठित कर शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दे :- महासंघ 

पटना........ सरकार की ओर से राज्य के पंचायतीराज एवं नगर निकाय अंतर्गत नियुक्त शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने के लिए एक उच्चस्तरीय समिति के गठन की बात सामने आ रही है।

     इस बाबत परिवर्तनकारी शिक्षक महासंघ के कार्यकारी प्रदेश संयोजक नवनीत कुमार एवं प्रदेश संगठन महामंत्री शिशीर कुमार पाण्डेय ने बताया कि लम्बे अरसे से सूबे के तमाम शिक्षक बिना शर्त राज्य कर्मी का दर्जा की प्राप्ति को लेकर संघर्ष करते आये हैं। पिछले माह विधानमंडल सत्र के दौरान 11 एवं 12 जुलाई को पटना के गर्दनीबाग मे लाखों शिक्षकों ने एकजुटता के साथ अपनी मांगो को लेकर विशाल शांतिपूर्ण धरना दिया एवं सभी विधायक एवं विधान पार्षद को ज्ञापन सौंपा।
 
     शिक्षकों की एकजुटता एवं चट्टानी एकता को देखकर मुख्यमंत्री ने 5 अगस्त को महागठबंधन मे सामिल विधानमंडल दल के नेताओं के साथ शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा देने से संबंधित मुद्दों पर गहन विचार विमर्श किया।

       नेता द्वय ने बताया कि मिडिया के माध्यम से हमे जानकारी मिली कि राज्य कर्मी का दर्जा देने को लेकर सरकार मुख्य सचिव की अध्यक्षता मे एक उच्चस्तरीय समिति का गठन करने जा रही है।
 
    प्रदेश संगठन महामंत्री शिशीर कुमार पाण्डेय ने कहा कि सरकार के झांसे मे इसबार सूबे के शिक्षक नही आने वाले है। इसके पूर्व भी वेतन विसंगति को दूर करने, स्थानांतरण आदि को लेकर कमिटी गठित की जा चुकी है लेकिन वर्षों बीत जाने के बाद भी अबतक उक्त कमिटी किसी नतीजे पर नही पहुंच सकी। फिर हम कैसे विश्वास करे कि यह समिति राज्य कर्मी का दर्जा देने को लेकर जल्द किसी ठोस नतीजे पर पहुंचेगी।

 प्रदेश मीडिया प्रभारी मृत्युंजय ठाकुर ने कहा कि सरकार शिक्षकों के धैर्य की परीक्षा न ले। 11 एवं 12 जुलाई के आंदोलन के बाद अपर मुख्य सचिव के के पाठक के हिटलरशाही फरमान के कारण सूबे के हजारों शिक्षकों पर निलंबन के साथ साथ बर्खास्तगी की कार्रवाई की गई फिर भी हम उसी तरह आज भी अपने मांग राज्य कर्मी का दर्जा की प्राप्ति को लेकर एकजुट हैं और जल्द से जल्द सरकार सूबे के पंचायतीराज एवं नगर निकाय अंतर्गत नियुक्त शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा नही देती है तो तमाम शिक्षक एकबार पुनः बड़े आंदोलन के लिए तैयार है और इसका खामियाजा सरकार को आगामी लोकसभा चुनाव 2024 एवं विधानसभा चुनाव 2025 मे भुगतान पड़ेगा।

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