शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग से वार्षिक अवकाश तालिका के बजाय 220 दिन कार्य दिवस का कैलेंडर जारी करने का किया मांग


शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग से वार्षिक अवकाश तालिका के बजाय 220 दिन कार्य दिवस का कैलेंडर जारी करने का किया मांग  

पटना.... शिक्षा विभाग विद्यालयों मे अवकाश को लेकर अनावश्यक बवाल मचा रहा है। विभाग खुद शिक्षा अधिकार कानून की अनदेखी कर रहा है। आम जनता को यह दिखाने का प्रयास किया जा रहा है कि शिक्षक पढ़ाने से ज्यादा अवकाश के लिए परेशान रहते हैं। जबकि बीते 10 वर्षों के शैक्षणिक सत्र (अप्रैल से मार्च ) का किसी जिले की रिपोर्ट देखने से स्वतः स्पष्ट हो जाएगा कि प्रति वर्ष न्यूनतम 230 और अधिकतम 253 दिनों तक विद्यालयों मे बच्चों के पठन-पाठन का कार्य सम्पन्न किया गया। यह बातें परिवर्तनकारी शिक्षक महासंघ ( पीएसएम ) के कार्यकारी प्रदेश संयोजक नवनीत कुमार एवं प्रदेश संगठन महामंत्री शिशिर कुमार पाण्डेय  ने संयुक्त रूप से कही। उन्होनें अगले वर्ष से छुट्टी का कैलेंडर जारी करने के बदले आरटीई के आलोक मे प्राथमिक विद्यालयों के लिए 200 दिन और मध्य विद्यालयों के लिए 220 कार्य दिवस का कैलेंडर जारी करने की मांग की।

शिक्षकों की गरिमा को किया गया आहत..........  
नवनीत कुमार एवं शिशीर कुमार पाण्डेय ने संयुक्त रूप से कहा कि विभाग की ओर से शिक्षक दिवस के दिन जारी प्रेस नोट से शिक्षकों की गरिमा को आहत और जनता को गुमराह किया गया। उन्होने कहा कि शिक्षकों की मुख्य मांग राज्य कर्मी का दर्जा से ध्यान भटकाने के लिए सरकार और शिक्षा विभाग नित्य नए शिगूफा छोड़ रहा है।
     
     नेता द्वय ने बताया कि सरकार लाख कोशिश कर ले लेकिन हम अपने मुख्य मांग राज्य कर्मी का दर्जा की प्राप्ति को लेकर अडिग है और इसे प्राप्त करने तक हम संघर्ष जारी रखेंगे। 

शिक्षा विभाग के तर्क गलत और तथ्यहीन.........   
शिक्षा विभाग के शिक्षक दिवस के दिन जारी प्रेस नोट पर संघ के प्रदेश मीडिया प्रभारी मृत्युंजय ठाकुर  ने कहा कि आम जनता के बीच ये प्रचारित करने का प्रयास किया जा रहा है कि सरकारी विद्यालयों मे पढ़ाई नही होती है। शिक्षा विभाग ने इस संबंध मे गलत व तथ्यहीन तर्क पेश किया है। 

      विभाग ने शैक्षणिक सत्र को अप्रैल से जनवरी तक ही दिखाया जबकि सत्र अप्रैल से मार्च तक होता है। फरवरी और मार्च के 58 दिन मे 2023 के पंचांग मे 8 रविवार और विभिन्न पर्वों की 6 छुट्टी यानि 44 दिनों को शून्य दिखाया गया। 

  श्री ठाकुर ने प्रेस नोट जारी करने वाले अधिकारी से जानना चाहा कि क्या इन 44 दिनों विद्यालय मे पढ़ाई नही होती? शीतलहर, लू, बाढ़ ये प्राकृतिक आपदा है। इनका कोई भरोसा नही किस वर्ष होगी और किस वर्ष नही। इस वर्ष ही प्रचण्ड सूखा है, किसी भी जिले मे बाढ़ से स्कूल बंद होने की सूचना नही है। वहीं शीतलहर की छुट्टी अवकाश तालिका मे नही होती है। स्कूल के भवनों का उपयोग शिक्षा के अलावा किसी भी कार्यक्रम के लिए पूर्णतया प्रतिबंधित है।

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