शिक्षा विभाग : अब जांच के नाम पर खानापूर्ति नही चलेगी असरदार निरीक्षण के लिए मानक तय...! सभी BEO अब किस तरह से करेगें काम....!


शिक्षा विभाग : अब जांच के नाम पर खानापूर्ति नही चलेगी  

असरदार निरीक्षण के लिए मानक तय...! 
सभी BEO अब किस तरह से करेगें काम....!  

पटना..... सरकारी विद्यालयों में निरीक्षण तो किया जा रहा पर असरदार निरीक्षण नहीं किया जा रहा। कह सकते हैं कि निरीक्षण के नाम पर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी खानापूर्ति कर रहे हैं। अब शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक ने सरकारी विद्यालयों के निरीक्षण में बरती जा रही लापरवाही को पकड़ लिया है। इसके बाद उन्होंने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र लिखा है। के के पाठक ने प्रखंड स्तर पर बीपीएमयू की स्थापना एवं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों के कर्तव्य एवं दायित्व के बारे में बताया है।

सभी जिलों के शिक्षा पदाधिकारियों को लिखे पत्र में के के पाठक ने कहा है कि शैक्षणिक व्यवस्था को सुधार करने के लिए प्रतिदिन 40000 विद्यालयों का निरीक्षण किया जा रहा है। एक विद्यालय का सप्ताह में तीन बार निरीक्षण हो रहा है। इस व्यवस्था से शिक्षकों एवं छात्रों की उपस्थिति में काफी सुधार हुआ है, हालांकि अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है। यह देखा गया है कि कई पदाधिकारी या कर्मी स्कूल का निरीक्षण बहुत ही रूटिंग या मौखिक तरीके से करते हैं। जबकि मेरे द्वारा स्पष्ट निर्देश है कि यह निरीक्षण इफेक्टिव होना चाहिए।  हमें निरीक्षण को सिर्फ शिक्षक एवं छात्र की उपस्थिति तक की सीमित नहीं रखता है, बल्कि विद्यालय के सभी पहलुओं व शिक्षा के सभी बिंदुओं को शामिल करना है।

के के पाठक ने उदाहरण देकर सरकारी विद्यालयों की निरीक्षण व्यवस्था की पोल खोली है। उन्होंने एक उदाहरण देकर बताया कि गया जिले के एक प्राथमिक विद्यालय में अफीम की बोरियां मिली हैं। इससे स्पष्ट है कि वहां पर सही तरीके से निरीक्षण नहीं किया गया था। प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने उस विद्यालय का निरीक्षण भी किया था। तब भी अफीम की बोरियां नहीं देख पाए। ऐसे में विद्यालय निरीक्षण की व्यवस्था को नए स्तर पर ले जाना है।

के के पाठक ने सरकारी विद्यालयों में इफेक्टिव इंस्पेक्शन को परिभाषित किया है। साथ ही इसके लिए मानक तय किए हैं। जब भी कोई अधिकारी या कर्मी विद्यालय में जाए तो सबसे पहले स्कूल के सभी कमरों के ताले खोलकर परिसर का निरीक्षण करे। प्रधानाध्यापक को यह स्पष्ट निदेश दें कि वह सुबह 9:00 बजे से पहले सभी कमरे के दरवाजों के ताले खोले और विद्यालय अवधि के बाद सभी कमरों को बंद करे। विद्यालय में साफ सफाई ठीक से हो रही है या नहीं देखें। शौचालय, कक्षा, फर्नीचर, लैब लाइब्रेरी की साफ सफाई हुई है या नहीं देखें। लैब, लाइब्रेरी कार्यरत है या नहीं यह भी देखें। सरकार द्वारा भेजे गए विभिन्न प्रकार के उपकरण तथा खेल के लिए भेजी गई सामग्री का प्रतिदिन इस्तेमाल हो रहा है या नहीं? महीने के अंत में मासिक परीक्षा, प्रत्येक सप्ताह टेस्ट और प्रत्येक दिन होमवर्क दिया जा रहा है या नहीं?  विद्यालय में कितने प्रकार के खाते हैं और उसमें कितनी राशि है इसकी भी जानकारी लें। अगर इन तमाम बिंदुओं पर जांच पूरी हो गई हो तब शिक्षक और छात्रों की उपस्थिति के बारे में जानकारी लें। यदि परिसर में कोई निर्माण हो रहा है तो यह देखा जाए कि वह यथासंभव वर्टिकल हो, ध्यान रखें कि खेल मैदान, प्रार्थना मैदान में ताबड़तोड़ कमरे बनाकर विद्यालय के ग्रीन एरिया को खराब नहीं करें।

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने आगे कहा है कि जोर निरीक्षण पर नहीं बल्कि इफेक्टिव निरीक्षण पर होना चाहिए। इसके लिए प्रखंड स्तर पर ब्लॉक प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट को सक्रिय किया जाना आवश्यक है। इस यूनिट में 14 कर्मी होंगे। यदि किसी प्रखंड में अभी तक 14 कर्मी कार्यरत नहीं है तो संपर्क कर इसकी व्यवस्था करें। बीईओ अपने प्रखंड में ब्लॉक प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट को सक्रिय करें। सभी कर्मी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के नियंत्रण में होंगे।

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