राज्य के सरकारी स्कूलों मे बढ़ाने होंगे संसाधन ● शिक्षा व्यवस्था मे सुधार को लेकर प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। अब अगर संसाधन बढ़ा दिए जाएं तो यहां के विद्यालय देश मे मिसाल बनेंगे।
राज्य के सरकारी स्कूलों मे बढ़ाने होंगे संसाधन
● शिक्षा व्यवस्था मे सुधार को लेकर प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। अब अगर संसाधन बढ़ा दिए जाएं तो यहां के विद्यालय देश मे मिसाल बनेंगे।
News Desk..... यह प्रशंसनीय है कि राज्य सरकार शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने का लगातार प्रयास कर रही है। शिक्षण संस्थानों मे बच्चों की उपस्थिति से लेकर उनके पठन-पाठन तक पर विशेष नजर रखी जा रही है। प्रारंभिक विद्यालयों मे पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों से परियोजना कार्य भी कराने को कहा गया है। निश्चित रूप से इससे बच्चों को लाभ होगा। उनका सर्वांगीण विकास हो सकेगा। वे रचनात्मक कार्यों के लिए प्रेरित होंगे, लेकिन इसके साथ ही विद्यालयों मे संसाधन भी बढ़ाने होंगे। आधारभूत संरचना को दुरुस्त करना होगा।
इसकी अनदेखी नही की जानी चाहिए कि विद्यालयों मे उपस्करों की कमी है। दाखिले की योजना को रफ्तार देने से कई विद्यालयों मे क्षमता से अधिक विद्यार्थियों का नामांकन कर लिया गया है। इधर, शिक्षण संस्थानों मे 75 प्रतिशत को लेकर सख्ती बरते जाने के बाद जो विद्यार्थी विद्यालय नही आते थे, वे भी पहुंचने लगे हैं। प्रदेश के कुछ विद्यालयों को उत्क्रमित किया गया, लेकिन संसाधन मे वृद्धि नही हुई। पर्याप्त बेंच-डेस्क नही होने से बच्चों को बैठने मे परेशानी हो रही है। कहीं-कहीं इसे लेकर आक्रोश भी दिख रहा है।
इस समस्या के निदान के लिए यथाशीघ्र कारगर कदम उठाने होंगे। कहने की जरूरत नही कि राज्य सरकार शिक्षा की गुणवत्ता मे सुधार को लेकर काॅफी गंभीर है। रोज नए-नए फैसले लिए जा रहे हैं। विद्यालयों के लिए मासिक शैक्षिक कैलेंडर जारी किया गया है। निर्धारित समय पर पाठ्यक्रम पूरा कराने का भी आदेश दिया गया है। बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने के साथ-साथ बगैर सूचना के अनुपस्थित रहने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई भी हो रही है। अब आधारभूत संरचना को और ठीक कर लिया जाए तो निश्चित रूप से बिहार के विद्यालय देश मे मिसाल बनेंगे।
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