नियोजित शिक्षकों को मिलेगा राज्यकर्मी का दर्जा....... ■ कैबिनेट से मंजूरी लेने की तैयारी ■ नियोजन इकाइयों से बाहर निकलेंगे शिक्षक

नियोजित शिक्षकों को मिलेगा राज्यकर्मी का दर्जा.......

कैबिनेट से मंजूरी लेने की तैयारी 
नियोजन इकाइयों से बाहर निकलेंगे शिक्षक 

पटना..... राज्य मे नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा जल्द मिलने के आसार हैं। माना जा रहा है कि नियोजित शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों को राज्यकर्मी का दर्जा देने के प्रस्ताव पर कैबिनेट की मंजूरी लेने की तैयारी है।

       राज्य मे प्रारंभिक से लेकर उच्च माध्यमिक विद्यालयों तक मे नियोजित शिक्षकों की संख्या 3 लाख 80 हजार के करीब है। इन विद्यालयों मे नियोजित शिक्षकों की यह संख्या छह चरणों की बहाली के बाद पहुंची है। राज्य मे प्राथमिक विद्यालयों से लेकर उच्च माध्यमिक विद्यालयों मे नियोजित शिक्षकों की बहाली वर्ष 2006 मे नियत वेतन पर शुरू हुई थी। तब, उन्हें इंक्रीमेंट 3 साल पर मिला करता था। 

      बहाली मे नियुक्ति के बदले नियोजन शब्द का इस्तेमाल संबंधित नियमावली मे किया गया था। नियोजन के अधिकार राज्य के सभी साढ़े आठ हजार से अधिक पंचायतीराज एवं नगर निकाय संस्थाओं को दिये गये। पंचायतीराज एवं नगर निकाय संस्थाओं द्वारा नियोजित किये जाने की वजह से ही ये नियोजित शिक्षक कहे जाने लगे। नियोजन के बाद से ही वेतनमान एवं राज्यकर्मी के दर्जे की मांग उठने लगी, जिसने बाद मे आंदोलन का रूप ले लिया। वर्ष 2015 मे नियोजित शिक्षकों को नियत वेतन से बाहर निकाल कर वेतनमान मे लाया गया और तीन साल के बदले वार्षिक इंक्रीमेंट की व्यवस्था लागू की गयी। लेकिन, उन्हें दिया गया वेतनमान प्रमंडल एवं राज्य संवर्ग वाले शिक्षकों के समान नही था। यही वजह रही कि समान वेतन एवं राज्यकर्मी के दर्जे की मांग को लेकर शिक्षक फिर आंदोलन पर उतर पड़े। समान वेतन के मामले मे न्यायिक लड़ाई का रूप ले लिया। न्यायिक लड़ाई देश की सर्वोच्च अदालत तक पहुंची। पर, इसे महज संयोग ही कहेंगे कि न्यायादेश नियोजित शिक्षकों के अनुकूल नही रहा।

     इस बीच बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की लिखित परीक्षा के आधार पर राज्यकर्मी के रूप मे शिक्षकों की नियुक्ती के सरकारी फैसले से नियोजित शिक्षकों को उद्वेलित कर दिया। इससे नियोजित शिक्षक राज्यकर्मी का दर्जा देने की मांग को लेकर फिर से आंदोलन/सड़क पर उतर पड़े। विधान मंडल सत्र के दौरान धरना-प्रदर्शन हुए। घेरा डालो-डेरा डालो आंदोलन चलाये गये। सदन मे सरकार के आश्वासन के अनुरूप विधान मंडल सत्र की समाप्ति के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महागठबंधन मे शामिल पार्टियों के विधायक दल के नेताओं के साथ वार्ता की। उसमे शिक्षकों की समस्याओं पर विमर्श हुआ। बैठक के बाद उसमे शामिल पार्टियों के नेताओं सकारात्मक रूख के संकेत दिये। लेकिन, इसका स्पष्ट संकेत मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण मे दिया। अपनी घोषणाओं मे उन्होने कहा था कि हम कह देते हैं कि पहले बहाली की प्रक्रिया पूरी हो जाने दीजिए, हम सभी शिक्षकों पर ध्यान दे रहे हैं। उनके हित मे हमलोग काम कर रहे हैं, हमलोग ऐसी व्यवस्था करेंगे कि वे सरकार से जुड़ जायेंगे, ये काम हमलोगों के मन मे है।

    बहरहाल, 1 लाख 70 हजार शिक्षकों की नियुक्ति के लिए बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की लिखित परीक्षा हो चुकी है। अब इसके नतीजे भी आने वाले है। इस बीच राज्य सरकार शिक्षा सेवकों के मासिक मानदेय की राशि 11 हजार रूपए से बढ़ाकर 22 हजार रूपए कर चुकी है। ऐसे अब सिर्फ नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दिये जाने की बारी है।

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