NIPUN BIHAR MISSION...(Baseline Survey 2023)बिहार के स्कूली बच्चों मे पढ़ने बोलने की क्षमता बढ़ाई जाएगी
NIPUN BIHAR MISSION...
(Baseline Survey 2023)
बिहार के स्कूली बच्चों मे पढ़ने बोलने की क्षमता बढ़ाई जाएगी
■ 5 वीं तक के बच्चों की क्षमता बढ़ाई जाएगी
■ प्रारंभिक स्कूलों के बच्चों मे धाराप्रवाह पाठ की डाली जाएगी आदत
■ रोजाना आधा घंटा अभ्यास कराया जाएगा
पटना..... बिहार के स्कूली बच्चों मे समझ के साथ तेजी से पाठ पढ़ने और बोलने की क्षमता विकसित की जाएगी। इसके लिए 13 अक्टूबर से शैक्षणिक सत्र के अंत यानि मार्च 2024 तक राज्यभर मे " पढ़ता बिहार-बढ़ता बिहार " अभियान चलेगा। इसका मकसद है कक्षा एक से पांच तक के स्कूली बच्चे धाराप्रवाह पाठ पढ़ने मे निपुण हो। इसको लेकर शिक्षकों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
इस संबंध मे बिहार शिक्षा परियोजना परिषद (बीईपी) ने राज्य परियोजना निदेशक बी.कार्तिकेय धनजी ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों और जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों (प्रारंभिक शिक्षा) को पत्र जारी किया है। कौन-कौन सी गतिविधि होनी है, इसका भी निर्धारण कर दिया गया है।
जिलों को कहा गया है कि प्राथमिक विद्यालयों के प्रधानध्यापकों को अभियान की शुरुआत करने का निर्देश दें। जिला स्तर से अभियान के तहत होने वाली गतिविधियों का निरंतर निगरानी करेगा। इस कार्य मे डीएलएड मे अध्ययनरत प्रशिक्षुओं की भी मदद स्कूल के प्रधानाध्यापक लेंगे। बीईपी ने कहा है कि धाराप्रवाह पढ़कर समझना एक महत्वपूर्ण घटक है, जो बच्चों को जीवन भर सीखने का आधार बनाता है।
60 शब्द समझ के साथ पढ़ना आना चाहिए : बीईपी ने कहा है कि कक्षा तीन के बच्चों को 60 शब्द समझ के साथ पढ़ना आना चाहिए। वहीं, कक्षा दो के बच्चों को 45 से 60 शब्द का लक्ष्य रखा गया है। जिलों को यह भी कहा गया है कि राष्ट्रीय पाठ्चर्या रूपरेखा मे कहा गया है कि हिन्दी भाषा शिक्षण के लिए प्रतिदिन 90 मिनट का समय देना चाहिए। इसमे 30 मिनट का समय हर दिन पठन कौशल के लिए निर्धारित किया गया है।
अभियान के पहले दिन बेसलाइन मूल्यांकन होगा......
अभियान के पहले दिन 13 अक्टूबर को बच्चों का मूल्यांकन होगा, कि वह कितने शब्द बिना रूके समझ के साथ पढ़ने मे सक्षम है। यह मूल्यांकन 16 अक्टूबर तक चलेगा। इसके बाद दिसंबर तक प्रतिदिन बच्चों से पाठ पढ़ाया जाएगा। कभी साझा तो कभी स्वतंत्र रूप से पाठ पढ़ने का अभ्यास कराया जाएगा। दो बच्चों से एक साथ भी पढ़ाया जाएगा। पठन का अभ्यास हर बच्चा प्रतिदिन कम से कम 30 मिनट करेगा। 29 और 30 दिसंबर को फिर मूल्यांकन होगा कि कितनी प्रगति बच्चों मे हुई। इन गतिविधियों पर प्रधानाध्यापक रिपोर्ट भी तैयार करेंगे, जिसे मुख्यालय को भेजा जाएगा।
रिपोर्ट मे मिली कमियों को दूर करने की कवायद.......
राज्य स्तर पर जारी रिपोर्ट मे यह जानकारी सामने आई है कि सरकारी स्कूलों के तीसरी और पांचवी कक्षा के कई बच्चे है, जो धाराप्रवाह हिन्दी का पाठ नही पढ़ पाते हैं। पढ़ते भी है तो उसे समझ नही पाते हैं। इन्हीं कमियों को दूर करने के लिए " पढ़ता बिहार-बढ़ता बिहार " अभियान की शुरुआत की जा रही है।
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