मध्याह्न भोजन || स्कूल मे 50% से कम बच्चों ने खाना खाया तो होगी कार्रवाई
■ प्रधानाध्यापक और शिक्षक बच्चों को भोजन करने के लिए करेंगे जागरूक
■ उपस्थित छात्र की अपेक्षा कम छात्र ही खाते हैं स्कूल मे खाना
■ लंच के समय मे बच्चे बाहर निकल कर चाट-समोसा खाकर काम चलाते हैं
पटना...... विद्यालय मे उपस्थित तमाम बच्चों को मध्याह्न भोजन करना अनिवार्य कर दिया गया है। इसकी जिम्मेवारी अब स्कूल के प्रधानाध्यापक और सभी शिक्षकों की होगी। किसी भी विद्यालय मे उपस्थित 50% से कम बच्चे अगर खाना खाते हैं तो ऐसे विद्यालय के प्रधानाध्यापक पर कार्रवाई होगी। विद्यालय आने वाले प्रत्येक बच्चे खाना खाएं, इसके लिए प्रधानाध्यापक और शिक्षक बच्चों को जागरूक करेंगे। मध्याह्न भोजन की पौष्टिकता की जानकारी देंगे।
बता दें कि बच्चे स्कूल मे उपस्थित तो होते हैं लेकिन कई बच्चे खाना नही खाते। लंच के समय मे बच्चे बाहर निकल कर चाट-समोसा खाकर काम चलाते हैं। ऐसे मे संबंधित स्कूल मे बना मध्याह्न भोजन बर्बाद हो जाता है।हाल मे किये गए औचक निरीक्षण मे यह निकल कर सामने आई है। औचक निरीक्षण मे यह देखा गया है कि ज्यादातर स्कूलों मे 60 से 70 फीसदी तक उपस्थिति रहती है लेकिन 50 से 57 फीसदी तक ही बच्चे खाना खाते हैं।
बच्चों को बीमार होने से बचाना है मकसद.....
जो बच्चे लंच के समय स्कूल से बाहर निकल कर चाट और समोसा आदि खाते हैं, ऐसे बच्चों को चिन्हित कर उनके अभिभावक को जागरूक किया जाएगा।
" अभिभावक-शिक्षक " बैठक मे बच्चों को पैसा देने से मना किया जाएगा, जिससे बच्चे बाहर से कुछ भी नही खरीद पाएं। ऐसे अभिभावकों को मध्याह्न भोजन मे मिलने वाले खाने की पौष्टिकता की जानकारी दी जाएगी। बता दें कि बच्चे बाहर का खाना खाकर बीमार न पड़े, वो स्वस्थ रहे, इसलिए अभिभावकों को जागरूक किया जाएगा।
उपस्थित बच्चों की संख्या के अनुसार बनता है खाना......
मध्याह्न भोजन योजना निदेशालय के अनुसार प्रत्येक दिन बच्चों की उपस्थिति के अनुसार खाना बनाया जाता है। सुबह मे चेतना सत्र के बाद बच्चों की उपस्थिति ली जाती है।
कक्षावार जितने बच्चे उपस्थित रहते हैं, उनकी संख्या प्रधानाध्यापक संबंधित रसोईया को देते हैं। इसके बाद रसोईया मेन्यू चार्ट के अनुसार खाना तैयार करती है।
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