Cencus of Drop-out children
स्कूल से बाहर के बच्चों का होगा सर्वे, कराया जाएगा नामांकन
■ शिक्षा विभाग के निर्देश पर 25 नवंबर तक डोर टू डोर होगा सर्वेक्षण
■ डोर टू डोर भ्रमण के लिए स्कूल के हेडमास्टर व वरीय शिक्षक बनाएंगे ठोस रणनीति
पटना..... राज्य मे स्कूल से बाहर के बच्चों की पहचान के लिए उनका डोर टू डोर सर्वे किया जाएगा। सर्वेक्षण का उद्देश्य 6 से 14 आयु वर्ग के स्कूल से बाहर व 15 से 19 आयु वर्ग के क्षितिज बच्चों की पहचान कर उनकी उम्र सापेक्ष कक्षा मे नामांकन कराना है। बहरहाल, अब स्कूल से बाहर व क्षितिज बच्चों को चिन्हित कर स्कूल मे उनका नामांकन कराकर वर्ग सापेक्ष दक्षता दिलायी जाएगी।
इसके लिए डोर टू डोर सर्वे किया जाएगा। डोर टू डोर गृहवार भ्रमण के लिए स्कूल के हेडमास्टर व वरीय शिक्षक ठोस रणनीति बनायेंगे। वहीं हेडमास्टर के नेतृत्व मे सभी शिक्षकों के बीच पोषक क्षेत्र का बंटवारा करके एक-एक दिन घर का सर्वेक्षण कर रिपोर्ट जमा करेंगे। स्कूल से बाहर के जिन बच्चों की सूचना हेल्प डेस्क मे अप्राप्त हो, उन घरो मे जाकर सर्वेक्षण करना अनिवार्य होगा। इसके लिए विभाग ने 24 काॅलम का फार्मेट तैयार किया है। सर्वेक्षण कार्य के लिए स्कूलों मे हेल्प डेस्क बनाया जायेगा। इसमे स्कूल के सबसे योग्य शिक्षक या शिक्षिका को नोडल के रूप मे तैनात किया जाएगा।
नोडल शिक्षक स्कूल के पोषक क्षेत्र का वोटरलिस्ट की मदद लेंगे। साथ ही विद्यालय, बीआरसी व जिला स्तरीय कोर कमेटियों का गठन होगा। इस दौरान 6 से 14 व 15 से 19 आयु वर्ग के बच्चों को चिन्हित करने की योजना है। इधर, विद्यालय से बाहर के 6 से 14 व 15 से 19 आयु वर्ग के बच्चों की पहचान के लिए गृहवार सर्वेक्षण के लिए शिक्षा विभाग ने कैलेंडर जारी किया है। साथ ही डोर टू डोर सर्वे के लिए 9 से 25 नवंबर तक की तिथि निर्धारित की गई है। राज्य परियोजना निदेशक बी.कार्तिकेय धनजी ने इस संदर्भ मे पत्र जारी कर सभी डीईओ को अनुपालन हेतु निर्देशित किया है।
आम सभा मे होगी चर्चा.......
विद्यालय से बाहर के बच्चों के सर्वेक्षण से संबंधित आंकड़े की जानकारी विद्यालय शिक्षा समिति की आम सभा मे रखी जायेगी। एक-एक बच्चे के संबंध मे चर्चा की जायेगी। कोई बच्चा स्कूल से बाहर नही रहे, इसकी संपुष्टि आम सभा मे की जाएगी। आम सभा मे आंकड़ो की प्रविष्टि 25 से 30 नवंबर के बीच होगी।
माता-पिता या अन्य स्कूल आने के लिए करेंगे प्रेरित.......
स्कूल से बाहर के बच्चों से संबंधित सूचना देने के लिए माता-पिता या अभिभावक व घर के अन्य व्यस्क सदस्य या स्थानीय जनप्रतिनिधि विद्यालय मे आने के लिए प्रेरित करेंगे। वहीं, योजना के प्रचार-प्रसार के लिए विद्यालय शिक्षा समिति व अन्य लोगों का सहयोग लिया जाएगा। बताया जा रहा है कि गृहवार भ्रमण के लिए स्कूल के हेडमास्टर व वरीय शिक्षक ठोस रणनीति बनायेंगे। हेडमास्टर के नेतृत्व मे सभी शिक्षकों के बीच पोषक क्षेत्र का बंटवारा करके एक-एक दिन घर का सर्वेक्षण कर रिपोर्ट जमा करेंगे। स्कूल से बाहर के जिन बच्चों की सूचना हेल्प डेस्क मे अप्राप्त हो, उन घरों मे जाकर सर्वेक्षण करना अनिवार्य होगा। इसके लिए विभाग ने 24 काॅलम का फार्मेट तैयार किया है।
Comments
Post a Comment