Niyojit Teacher Bihar || सरकारी स्कूलों में छीजन शून्य करने को लेकर राज्य में 1 दिसंबर से शुरू होगा "मिशन दक्ष "


Niyojit Teacher Bihar || सरकारी स्कूलों में छीजन शून्य करने को लेकर राज्य में 1 दिसंबर से शुरू होगा "मिशन दक्ष "

■ जातीय सर्वे मे ड्राॅप आउट की समस्या आने के बाद सरकार का बड़ा फैसला
■ अभियान का लक्ष्य 25 लाख बच्चों को कवर करना, 5 लाख शिक्षकों को मिलेगी जिम्मेवारी
■ कक्षा 3 से 8 तक ऐसे बच्चों पर फोकस जिन्हें साक्षर भी नही कह सकते

पटना...... दसवीं कक्षा से छात्रों के ड्राॅप आउट को रोकने के लिए पूरे प्रदेश मे " मिशन दक्ष " चलाया जायेगा। इसमे कमजोर बच्चों को शैक्षिक रूप से न केवल सशक्त बनाया जाएगा बल्कि उन्हे परीक्षा मे उत्तीर्णता के योग्य भी बनाया जाएगा। शिक्षा विभाग ने इसकी तैयारी पूरी कर ली है। पूरे प्रदेश मे स्कूलों से छीजन को रोकने के लिए पहली दिसंबर से " मिशन दक्ष " शुरू हो जाएगा। इस अभियान की कोई समय सीमा नही होगी, बल्कि यह मिशन का ध्येय पूरा होने तक जारी रहेगा। किसी भी स्तर पर मिशन की असफलता से प्रधानाध्यापक व शिक्षकों पर गाज भी गिरेगी।

     शिक्षा विभाग के अनुसार यह अभियान तीन चरणों मे संचालित होगा। इसमे तीसरी कक्षा से आठवीं कक्षा तक के 25 लाख बच्चे शामिल होंगे। ये ऐसे बच्चे हैं जिन्हें साक्षर भी नही कहा जा सकता है। इन्हे योग्य बनाने की जिम्मेवारी 5 लाख शिक्षकों को सौंपी जाएगी। प्रत्येक शिक्षक 5-5 बच्चों के लिए विशेष कक्षा लेंगे और उन्हे अतिरिक्त समय मे पढ़ाएंगे। 

     विभाग ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी सूरत मे बच्चों को झूंड मे नही पढ़ाया जाए। एक शिक्षक अधिकतम 5 बच्चों को ही पढ़ाएंगे। इस मिशन मे विद्यालय मे कार्यरत शिक्षा सेवकों (टोला सेवक) की भी सेवा ली जाएगी।

     दरअसल, पिछले दिनों जातीय सर्वे के दौरान यह बात सामने आई है कि जैसे-जैसे कक्षा का स्तर बढ़ते जाता है राज्य के ड्राॅप आउट की दर भी बढ़ते जाती है। इसके पहले भी यह बात सामने आई है कि स्कूलों मे प्रत्येक कक्षा मे तीन कैटेगरी के बच्चे हैं। इनमे एक तो मेधावी है, दूसरे औसत हैं जबकि तीसरी कैटेगरी मे बहुत ही कमजोर बच्चे हैं। ये पढ़ाई मे इतने कमजोर होते हैं कि इन्हे साक्षर भी नही कहा जा सकता है। ये छात्र दसवीं की बोर्ड परीक्षा उत्तीर्ण नही कर पाते हैं और ड्राॅप आउट हो जाते हैं। 

    राज्य का ड्राॅप आउट दर इस स्तर पर बहुत ज्यादा है। इस कारण राष्ट्रीय स्तर पर राज्य की स्थिति बेहद खराब है। यहीं नही, इस वजह से राज्य की रैंकिंग भी गिर जाती है। इन्ही बातों को देखते हुए शिक्षा विभाग ने ऐसे कमजोर बच्चों के लिए " मिशन दक्ष " प्रारंभ किया है।

तीन चरणों में चलेगा अभियान, कमजोर बच्चे होंगे चिन्हित......  
अभियान तीन चरणों मे संचालित होगा। पहले चरण मे कक्षा 3 से 8 के ऐसे बच्चे चिन्हित होंगे जो पढ़ाई मे बेहद कमजोर है। यह कार्य 30 नवंबर तक पूरा कर लिया जाएगा। इसमे हिन्दी के शब्द-वाक्य लगातार नही पढ़ सकने वाले और मौलिक गणित करने मे असक्षम बच्चों को शामिल किया जाएगा। 
     दूसरे चरण मे उन्हे शिक्षक विशेष कक्षा के माध्यम से पढ़ाएंगे। इन्हे 3 बजे के बाद या फिर भोजन अवधि के बाद इनकी विशेष कक्षाएं होंगी। एक शिक्षक 5 बच्चे को समूह मे पढ़ाएंगे। टोला सेवकों की भी सेवा ली जाएगी। सभी विद्यालयों से एक टोला सेवक अवश्य टैग होगा।
      तीसरे चरण मे उन्हे विशेष परीक्षा मे शामिल किया जाएगा। वार्षिक परीक्षा 20 मार्च से 31 मार्च 2024 तक होनी है। इसमे ये 25 लाख बच्चे भी शामिल होंगे। इसके बाद इन सभी 25 लाख बच्चों को अप्रैल 2024 मे या गर्मी की छुट्टी मे परीक्षा होगी।

जिम्मेवारी तय, होगी कार्रवाई......  
इस मिशन की सफलता या असफलता के लिए सभी प्रारंभिक, माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों को जिम्मेवार माना जाएगा। परीक्षा मे यदि ये बच्चे असफल होते हैं तो संबंधित प्रधानाध्यापक और शिक्षकों पर कार्रवाई होगी।

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