बड़ी खबर || शिक्षा विभाग में टूट रहा के.के पाठक का तिलिस्म, उनके द्वारा लिए गए कई फैसलों में किया जा रहा संशोधन/बदलाव


बड़ी खबर || शिक्षा विभाग में टूट रहा के.के पाठक का तिलिस्म, उनके द्वारा लिए गए कई फैसलों में किया जा रहा संशोधन/बदलाव 

पटना..... के.के पाठक के छुट्टी पर जाने के साथ ही शिक्षा विभाग में उनका तिलिस्म टूटने लगा है। उनके द्वारा लिए गए फैसलों में शिक्षा विभाग द्वारा बदलाव किये जाने लगे हैं। अपर मुख्य सचिव की कुर्सी पर के.के पाठक के रहते स्कूली शिक्षा एवं उच्च शिक्षा के क्षेत्र में लिये गये कई आदेश उनके छुट्टी पर जाने के बाद बदल गये हैं। आदेशों मे बदलाव से यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि क्या के.के पाठक की वापसी अब शिक्षा विभाग में नही होगी ?

      के.के पाठक तीन जून को 28 दिनों की छुट्टी पर गये हैं। वे 30 जून तक छुट्टी (उपर्जित अवकाश) पर रहेंगे। उनके छुट्टी पर जाने के बाद राज्य सरकार ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव का अतिरिक्त प्रभार मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव डाॅ.एस सिद्धार्थ को दिया है। उसके बाद से के.के पाठक के कार्यकाल से जुड़े उन आदेशों मे बदलाव हुआ, जिन आदेशों के चलते श्री पाठक सुर्खियों में थे।

      श्री पाठक के छुट्टी पर जाने के पहले भीषण गर्मी के मद्देनजर 8 जून तक के लिए स्कूली बच्चों को तो छुट्टी दे दी गई, लेकिन शिक्षकों को छुट्टी नही मिली। शिक्षकों एवं कर्मचारियों का स्कूल जाना अनिवार्य रहा। शिक्षकों के लिए बकायदा कार्य भी तय कर दिये गये। लेकिन, श्री पाठक के छुट्टी पर जाने के बाद 8 जून तक की अवधि में शिक्षकों की उपस्थिति की समय-सीमा घटा दी गयी। इससे शिक्षकों ने राहत की सांस ली।

अब, 10 जून से स्कूलों मे फिर से पढ़ाई शुरू होगी। बच्चों की 8 जून तक की छुट्टी के पहले राज्य में स्कूलों मे पढ़ाई की अवधि सुबह 6 बजे से दिन के 12 बजे तक थी, लेकिन शिक्षक-कर्मियों को अपराह्न 1:30 बजे स्कूल छोड़ने का आदेश था। इसमें अब बदलाव हो गया है। इसके मद्देनजर अब 10 जून से 30 जून तक राज्य के सभी सरकारी स्कूल सुबह 6:30 से 12:10 बजे दिन तक चलेंगे। छात्रों एवं शिक्षकों की छुट्टी अब एक साथ 12:10 बजे दिन में हो जायेगी। इससे शिक्षक को राहत की सांस मिलेगी। के.के पाठक द्वारा की गयी स्कूलों की मानिटरिंग व्यवस्था में भी बदलाव किये गये हैं। नई व्यवस्था मे मानिटरिंग के लिए हर तीन माह के लिए अधिकारी-कर्मचारियों को जिला स्तर पर उप विकास आयुक्त द्वारा स्कूल आवंटित किये जायेंगे। हर स्कूल का सप्ताह में कम से कम एक बार इंस्पेक्शन अनिवार्य किया गया है। मानिटरिंग के लिए राज्य मुख्यालय स्तर से हर जिले के लिए तीन माह हेतु एक-एक नोडल अफसर तैनात किये गये हैं, जो हफ्ते मे कम से कम पांच स्कूलों का इंस्पेक्शन करेंगे। 

     इसके विपरीत श्री पाठक की मानिटरिंग सिस्टम में औसतन प्रतिदिन चालीस हजार स्कूलों के इंस्पेक्शन कराये जा रहे थे। इससे इतर उच्च शिक्षा की बात करें, तो राजभवन (कुलाधिपति कार्यालय) बनाम शिक्षा विभाग को लेकर सुर्खियों में रहे श्री पाठक के छुट्टी पर जाने के बाद शिक्षा विभाग कुलाधिपति कार्यालय एवं विश्वविद्यालयों के साथ कड़वाहट दूर करने में लग गया है। 

शिक्षा विभाग की बैठक में शामिल होने के लिए उच्च शिक्षा निदेशक ने राज्यपाल सचिवालय के प्रधान सचिव को पत्र लिखकर कुलपतियों को निर्देशित करने का आग्रह किया है। ऐसा संभवतः पहली बार हुआ है। 

श्री पाठक के और भी कई ऐसे आदेश या फरमान थे जिससे शिक्षकों मे काफी नाराजगी देखने को मिल रही थी। उपरोक्त सभी बातों का अवलोकन करने के पश्चात शिक्षा विभाग मे श्री पाठक के वापसी को लेकर सवाल उठने शुरू हो गये हैं। ऐसे ही सवाल उस वक्त भी उठे थे, जब गत 8 जनवरी से श्री पाठक उपर्जित अवकाश पर गये थे। लेकिन, उस बार अपर मुख्य सचिव का अतिरिक्त प्रभार शिक्षा विभाग के सचिव वैद्यनाथ यादव के जिम्मेदार था। उस बार श्री पाठक के किसी फैसले में किसी भी प्रकार के बदलाव भी नही हुए थे। लेकिन, इस बार परिस्थितियां उससे भिन्न है।

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