दक्ष क्लास में अब सात बच्चों पर एक शिक्षक, नये सिरे से मिशन दक्ष के तहत बच्चों के चयन का निर्देश


दक्ष क्लास में अब सात बच्चों पर एक शिक्षक, नये सिरे से मिशन दक्ष के तहत बच्चों के चयन का निर्देश 

पटना..... सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले पढ़ाई में कमजोर बच्चों के लिए दक्ष क्लास का संचालन किया जाता है। नये सत्र 2024-25 में कक्षा 3 से 8 के वैसे बच्चे जिनमें हिंदी,गणित और अंग्रेजी की बेसिक जानकारी का अभाव है, उन्हें नये सिरे से चिन्हित कर दक्ष क्लास के लिए चयन किया जायेगा। अब मिशन दक्ष क्लास में सात-सात बच्चों का ग्रुप तैयार किया जायेगा। सात बच्चों के ग्रुप को पढ़ाने के लिए एक शिक्षक होंगे।

     शिक्षक बच्चों की कमियों को जान कर उन्हें रोचक ढंग से पढ़ाते हुए उनकी कमियों को दूर करेंगे। इससे पहले मिशन दक्ष क्लास में 15-15 बच्चों का ग्रुप होता था। स्कूली शिक्षक के अलावा मिशन दक्ष क्लास में टोला सेवक, तालिमी मरकज का भी सहयोग लिया जायेगा। इसके अलावा सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापक और प्रभारी शिक्षक भी मिशन दक्ष मे शामिल बच्चों के ग्रुप को रूटीन के अनुसार पढ़ायेंगे।

शिक्षा विभाग की ओर से राज्य के सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को नये सिरे से मिशन दक्ष के तहत बच्चों का चयन करने और दिये गये निर्देश के अनुसार क्लास संचालित करने को कहा है।

दक्ष क्लास के लिए बच्चों को अलग से रखना होगा नोटबुक......
नये सत्र में मिशन दक्ष क्लास के लिए चयनित बच्चों को रेगुलर नोटबुक के साथ ही अलग से दक्ष क्लास के लिए नोटबुक रखना होगा। मिशन दक्ष के लिए रखे गये नोटबुक में शिक्षक बच्चों को पढ़ाई में होनेवाली बेसिक दिक्कतों को दूर करने के लिए क्लास वर्क करायेंगे।
    इसके साथ ही प्रतिदिन मिशन दक्ष क्लास में शामिल बच्चों को होम वर्क (गृहकार्य) दिया जायेगा और उसे शिक्षक चेक भी करेंगे। शिक्षकों को प्रतिदिन पढ़ाए गये विषय और टाॅपिक से संबंधित सारिणी भी तैयार करना है।

वर्ष 2023-24 में मिशन दक्ष के लिए 35 लाख 88 हजार बच्चे हुए थे चयनित.....
वर्ष 2023-24 में पढ़ाई में कमजोर बच्चों की स्थिति बेहतर बनाने के लिए मिशन दक्ष क्लास में राज्य से कुल 35 लाख 88 हजार बच्चों का चयन हुआ था। 
     वहीं कक्षा 5 और 8 के चिन्हित बच्चों के लिए आरटीई के तहत विशेष परीक्षा व शेष के लिए मिशन दक्ष परीक्षा हुई थी। 28 मई को हुई मिशन दक्ष परीक्षा में 22 लाख बच्चे शामिल हुए थे। 68% बच्चों ने उच्च श्रेणी के अंक प्राप्त किये है और 32% बच्चों ने मध्यम श्रेणी के अंक प्राप्त किये हैं।

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