" टीचर्स ऑफ बिहार " का सपना हो रहा साकार....
◾बिहार के सरकारी विद्यालयों की बदल रही है तस्वीरें
पटना...... बिहार की सबसे बड़ी प्रोफेशनल लर्निंग कम्युनिटी " टीचर्स ऑफ बिहार " ने विगत पांच वर्ष पूर्व जो सपना देखा था, वो अब साकार होता हुआ नजर आ रहा है।
टीचर्स ऑफ बिहार के फाउंडर पटना जिले के शिक्षक शिव कुमार ने आज से पांच साल पहले कुछ सरकारी स्कूल के शिक्षकों के साथ इस प्लेटफॉर्म की शुरुआत की और उस वक्त उन्होनें जिस सोंच के साथ कदम बढ़ाया वो धीरे-धीरे अब एक बड़े परिणाम के रूप में पूरे राज्य स्तर पर दिखने लगा है।
पिछले दिनों ही 26 जुलाई को राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने शिक्षक समूह टीचर्स ऑफ बिहार के कार्यों की सराहना करते हुए देश के सभी राज्यों मे ऐसा समूह बनाने का निर्देश दिया।
बिहार के सरकारी स्कूलों की तस्वीरें बदलने लगी है। वर्तमान समय में शिक्षा विभाग द्वारा किये जा रहे बेहतर प्रयोग से छात्र-छात्राओं की उपस्थिति विद्यालय में बढ़ने लगी है। उक्त बातें मृत्युंजय ठाकुर(शिक्षक) नवसृजित प्राथमिक विद्यालय खुटौना यादव टोला,पताही,पूर्वी चम्पारण-सह-प्रदेश मीडिया संयोजक, टीचर्स ऑफ बिहार ने कही है। उन्होने कहा कि बच्चे विद्यालय में हो रहे नवाचारी गतिविधि से शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। इस नवाचारी गतिविधि को सभी विद्यालयों तक पहुंचाने के लिए बिहार की सबसे बड़ी प्रोफेशनल लर्निंग कम्युनिटी टीचर्स ऑफ बिहार द्वारा विगत पांच वर्षों से लगातार काम किया जा रहा है, जिसका असर अब बिहार के सभी सरकारी स्कूलों में देखने को मिल रहा है। उन्होने कहा कि टीचर्स ऑफ बिहार एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां बिहार के सरकारी विद्यालय के एक से बढ़कर एक उत्कृष्ट शिक्षक बिहार के सरकारी स्कूलों की दशा व दिशा बदलने के लिए निःस्वार्थ भाव से काम कर रहे हैं।
प्रतिदिन हो रहे नवाचारी गतिविधि से विद्यालय में बच्चों की बढ़ती उपस्थिति मील का पत्थर साबित हो रहा है। शिक्षा विभाग, बिहार की अबतक की सबसे महत्वकांक्षी योजना ' चहक ' ने बच्चों की शैक्षिक, व्यवहारिक एवं मनोवैज्ञानिक कौशल को संवारने का एक बेहतरीन प्लेटफॉर्म मुहैया कराया है।
वर्तमान में विद्यालयों में प्रतिदिन चहक गतिविधियां करायी जा रही है जिससे बच्चों में सर्वांगीण विकास की अवधारणा विकसित हो रही है। प्राथमिक कक्षा में अध्ययनरत छात्रों के लिए सभी विद्यालयों को निपुण भारत मिशन अंतर्गत बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान के लिए फाउंडेशन लिटरेसी एवं न्युमरेसी अर्थात एफएलएन किट मुहैया करवाया गया है, जिससे बच्चों में शिक्षा के प्रारंभिक वर्षों में भाषा और गणित कौशल का निर्माण करने में मदद मिल रही है।
मृत्युंजय ठाकुर ने कहा कि इन सभी नवाचारों से न केवल छात्रों बल्कि शिक्षकों को भी नवाचारी गतिविधि आधारित शिक्षण का अवसर मिल रहा है, जिससे छात्र बेहतर ढंग से लाभान्वित हो रहे हैं।
उन्होने कहा कि पूर्व में भी " शिक्षक-अभिभावक " संगोष्ठी का चलन रहा है किन्तु शिक्षा विभाग द्वारा निर्देशित " शिक्षक-अभिभावक " संगोष्ठी के लगातार आयोजन ने शिक्षक और अभिभावक को और निकट/नजदीक लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यूं कहे कि विद्यालय प्रबंधन द्वारा अभिभावकों के साथ संगोष्ठी कर छात्रों को बेहतर शिक्षा के लिए विद्यालय भेजने हेतु प्रेरित करने में लगभग सफल हुए हैं।
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