एक नजर....विशिष्ट शिक्षक और उनका योगदान
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सक्षमता परीक्षा पास 1.0 शिक्षकों को एक बार 20 नवंबर 24 को औपबंधिक नियुक्ति पत्र प्राप्त हो चुका हैं! इस का शुभारंभ स्वयं माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने अपने कर कमलों से किया था! उसी दिन से राजकर्मी का दर्जा देने की घोषणा किया गया था! उस नियुक्ति पत्रों में क्या दोष और कमी थी कि वह शिक्षकों के फाइल में ही निरस्त हो गया! बिहार की धरती पर मुख्यमंत्री के हाथों से दिया गया नियुक्ति पत्र शिक्षकों को योगदान नहीं दिला पाए तो जो औपबंधिक नियुक्ति पत्र 26 दिसंबर 2024 से BRC में BEO के द्वारा शिक्षकों को मिला है या मिल रहा है , उसकी क्या गारंटी है I एक शिक्षक के भविष्य के साथ मज़ाक नहीं क्या जाएगा भारत में बिहार की पावन धरती पर प्रथम बार ऐसा हुआ है कि 1 लाख 87 हजार 818 शिक्षकों का नियुक्ति पत्र फ़ाइल में रखें ही रद्द हो गया।
बिहार के नियोजित शिक्षक जो विशिष्ट शिक्षक के दरवाजे पर दस्तक दे रहें हैं! लेकिन इस का स्वागत करने वाले कोई सक्षम पदाधिकारी उपलब्ध नहीं हैं, जिनके समक्ष योगदान प्राप्त करना है! योगदान की तिथि 01 जनवरी से 07 जनवरी निर्धारित किया गया है! एक जनवरी को नियोजित शिक्षकों को वार्षिक वेतन वृद्धि 3% इन्क्रिमेंट होने वाले हैं! इस इन्क्रिमेंट का लाभ विशिष्ट शिक्षकों को मिलेगा या नहीं , यदि मिलेगा तो किस परिस्थिति में और नहीं मिलेगा तो किन कारणों से नहीं मिलेगा! योगदान 01 जनवरी और 02 जनवरी लेने में बुनियादी अंतर क्या होगा, इस को स्पष्ट नहीं किया गया है।
नियोजित शिक्षकों के साथ सबसे बड़ा धोखाधड़ी यह हुआ है कि उनको आवंटित जिला से वंचित कर दिया गया, उन शिक्षकों का सपना चकनाचूर हो गया जो अपने घर से 200 और 300 किलोमीटर दूर पदस्थापित हैं! आज की परिस्थितियों में वह अपने घरों से एक कदम भी नजदीक नहीं हो पा रहें हैं! और उसी विद्यालय में योगदान लेने पर मजबूर हो रहे हैं जहां पर वह एक छन भी नहीं रहना चाहते हैं! क्या यहां पर इन्साफ का गला घोंटा नहीं गया है! क्या नियोजित शिक्षकों के साथ अत्याचार नहीं किया गया है! क्या सरकार प्रतिशोध का बदला नहीं ले रही हैं! क्या पूरी नियुक्ति प्रक्रिया को असमंजस के सागर में गोते लगाने के लिए नहीं छोड़ दिया गया है! भविष्य का कोई भी रेखा स्पष्ट संकेत नहीं दे रहे हैं! न तो वेतन संरक्षण की कोई गारंटी है और न ही सेवा निरंतरता का कोई स्पष्ट रूप रेखा है! यहां पर तो वरीयता पर ही प्रश्न चिन्ह ? लगा हुआ है! सरकार और शिक्षा विभाग की कोई स्पष्ट रणनीति नहीं होने के कारण नियोजित शिक्षकों को पल पल मानसिक प्रताड़ना से गुजरना पड़ रहा है! क्या जो शिक्षक 2003 से उसी विद्यालय में निरंतर सेवा देते आ रहे हैं ! न स्कूल बदले न विभाग बदले वह उस शिक्षकों से कनीय किस आधार पर हो जाएंगे जो उस विद्यालय में 2023 में योगदान लिया है! दोनों के बीच 20 वर्षों का एक लम्बा अंतराल है! अगर ऐसा होता है तो नियोजित शिक्षकों के मान सम्मान, मर्यादा और प्रतिष्ठा के साथ खिलवाड़ है।
आज सक्षमता परीक्षा पास नियोजित शिक्षक उस मोड़ पर खड़े हैं जहां से वह अपने भविष्य के बारे में ठोस निर्णय नहीं ले पा रहे हैं! बहुत सारे शिक्षक TRE 3.0 में सफलता अर्जित किए है, बहुत शिक्षक - प्रधान शिक्षक, और प्रधानाध्यापक में सफलता का परचम लहराए है , और बहुत सारे शिक्षकों का 30 दिसंबर से 03 जनवरी तक पांच दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण है! इस परिस्थिति में 01 जनवरी को योगदान करना कोई सरल काम नहीं है! सब से विकट स्थिति TRE 3.0 में सफलता अर्जित शिक्षकों के सामने है! उनके भविष्य के लिए विशिष्ट शिक्षक और BPSC शिक्षकों में कौन सा पद श्रेयस्कर होगा, शिक्षा विभाग के दिशा हिनता के कारण निर्णय करना बहुत कठिन प्रतीत हो रहा है।
शिक्षा विभाग के अनुसार जब तक विशिष्ट शिक्षकों के प्रमाण पत्रों का सत्यापन नहीं हो जाता है तब तक उसका स्थानांतरण पदस्थापित विद्यालय से नहीं होगा! इस अंधी , बहरी और गूंगी सरकार को कौन समझाए शिक्षकों को प्रमाण पत्रों का सत्यापन एक बार नहीं पचासों बार हो चुका हैं! फिर सत्यापन के नाम पर ड्रामा करना तर्क संगत और वैधानिक कदम नहीं है!
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