8th Pay Commission: क्या 8वें वेतन आयोग पर बनेगा ये रिकार्ड..? मात्र 1 साल में कैसे रिवाइज होंगे वेतनमान..?


8th Pay Commission :- पहली जनवरी 2026 से आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें यानि वेतनमान रिवाइज होना है। मात्र एक साल में किस तरह से आयोग अपनी रिपोर्ट तैयार करेगा, उसे सरकार को सौंपेंगे, सरकार उस पर विचार करेगी, उसके बाद नए वेतनमान लागू होंगे।

आठवें वेतन आयोग के गठन को लेकर केंद्रीय कर्मचारी संगठन दो साल से आवाज बुलंद कर रहे थे। गुरुवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। कर्मचारी संगठनों ने इस घोषणा का स्वागत किया है, मगर इस बाबत कई तरह के सवाल भी उठाए हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या इस बार मोदी सरकार आठवें वेतन आयोग को लेकर रिकार्ड बनाएगी। अभी तक जितने भी आयोग गठित हुए हैं, उनकी रिपोर्ट आने और उसे लागू करने में लगभग दो से ढाई वर्ष लगते रहे हैं। इस बार स्थिति दूसरी है। पहली जनवरी 2026 से आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें यानी वेतनमान रिवाइज होना है। मात्र एक साल में किस तरह से आयोग अपनी रिपोर्ट तैयार करेगा, उसे सरकार को सौंपेंगे, सरकार उस पर विचार करेगी, उसके बाद नए वेतनमान लागू होंगे। 

कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव ने इस विषय में पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था। उन्होंने पीएम से आग्रह किया कि वर्तमान परिस्थितियों में बिना किसी विलंब के आठवें वेतन आयोग का गठन किया जाए। वेतनमान रिवाइज, 10 नहीं, बल्कि 5 साल में होना चाहिए। मुद्रास्फीति का स्तर बढ़ रहा है, ऐसे में दस साल का वर्तमान संशोधन कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए अनुकूल नहीं है। यादव बताते हैं, देखिये कर्मचारी संगठनों के लिए राहत की खबर है। हालांकि अभी इस बाबत कुछ ज्यादा नहीं कहा जा सकता। वजह, सरकार ने अभी इस आयोग की कोई समय सीमा तय नहीं की है। आयोग का चेयरमैन एवं सदस्य कब नियुक्त होंगे। इस घोषणा का 'टर्म आफ रेफरेंस' क्या है, अभी इस बारे में कोई नहीं जानता। जब यह सब बातें सार्वजनिक होंगी, तब इस संबंध में ठोस आधार पर कुछ कहा जा सकता है। 

 इस बार सरकार चाहे तो एक रिकार्ड बन सकता है। अतीत में ऐसा कम ही देखने को मिलता है, जब आयोग के गठन और उसकी रिपोर्ट को लागू करने में दो वर्ष से कम वक्त लगा हो। पहले यह होता था कि वेतन आयोग के सदस्य, विभिन्न तरह की जानकारी एकत्रित लेने के लिए विदेशों के टूर करते थे। कई देशों के कर्मचारी संगठनों का वेतनमान देखा जाता था। अध्ययन भ्रमण में बहुत समय लगता था। अब सब कुछ डिजिटल हो गया है। किसी भी देश के कर्मचारियों के वेतनमान से जुड़ी जानकारी आनलाइन मिल सकती है। दूसरे देशों की अर्थव्यवस्था एवं वित्त मंत्रालयों के नए कदमों का अध्ययन भी डिजिटल माध्यम से हो सकता है। ऐसे में संभव है कि इस बार कम समय लगे। दो दशक पहले डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान वेतन आयोग के गठन से लेकर उसे लागू करने तक, इस प्रक्रिया में 18 महीने लगते थे। उससे पहले दो साल लगते थे। 
इस बार मोदी सरकार कुछ नया कर सकती है। 

जब आयोग के चेयरमैन व सदस्यों की नियुक्ति हो जाती है तो उसके बाद वे कर्मचारी संगठनों को बातचीत के लिए बुलाते हैं। जेसीएम के प्रतिनिधियों को बुलाया जाता है। जब रिपोर्ट तैयार हो जाती है तो उस पर विचार करने के लिए सरकार मंत्रियों के समूह का गठन करती है। वह आयोग की रिपोर्ट पर विचार करता है। बतौर यादव, लगता है इस बार यह सारी प्रक्रिया एक ही वर्ष में पूरी हो जाएगी। केंद्र सरकार के कर्मचारियों का वेतनमान संशोधन 01.01.2026 से देय है, क्योंकि यह हर दस साल के बाद व्यवहार में आता है। पहले के केंद्रीय वेतन आयोगों को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने में लगभग 2 साल लगते रहे हैं। सरकार को रिपोर्ट पर विचार करने और इसे लागू करने में छह महीने या उससे अधिक समय लगता रहा है। 

कर्मचारी संगठनों का कहना था कि सरकार को वेतन आयोग का गठन, गत वर्ष ही कर देना चाहिए था। प्रतिभाशाली कर्मचारी अच्छा नेतृत्व और सुशासन प्रदान करने में सहायक होते हैं। भारत सरकार एक आदर्श नियोक्ता है, उसे अपने कर्मचारियों को आरामदायक जीवन प्रदान करने का ध्यान रखना चाहिए। समय पर वेतन संशोधन का लाभ यह होता है कि वे केंद्र सरकार के कार्यक्रमों और नीतियों के कार्यान्वयन के लिए अधिक प्रभावी ढंग से काम कर सकेंगे। कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव ने पीएम नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा था,  मौजूदा समय में डीए पात्रता का प्रतिशत 53% से अधिक हो गया है। पिछले नौ वर्षों के दौरान मजदूरी के वास्तविक मूल्य में बहुत अधिक गिरावट आई है। खासतौर से कोविड-19 के बाद सरकारी कर्मियों को विपरित स्थितियों में काम करना पड़ा है। हमारे देश की सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा को आकर्षित करने के लिए केंद्र सरकार के कर्मचारियों की वेतन संरचना इतनी मजबूत होनी चाहिए कि इसे हर पांच साल में संशोधित किया जाना चाहिए।

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